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आयोगों का नाम बदलने से क्या होगा : निषाद

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लखनऊ। योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटन राम निषाद ने कहा कि मोदी सरकार योजनाओं का नाम बदलकर और झूठा प्रचार कर वाहवाही लूट रही है। इससे जनता का भला होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू राज्यों के विकास के लिए विकास निधि आवंटित करने व योजनाओं को संचालित करने के लिए योजना आयोग का गठन किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र भाई दामादर दास मोदी ने इसे अनुपयुक्त बताते हुए खत्म करने की घोषणा कर दी, लेकिन अब योजना आयोग का नाम बदल कर नीति आयोग कर दिया है। महज नाम बदलने से जनता का क्या भला होने वाला है?

प्रधानमंत्री जन-धन योजना पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत पहले से यूनियन बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पीएनबी जैसे बैंक अपने खाताधारकों का एक लाख का बीमा करते रहे हैं। मोदी प्रधानमंत्री जन-धन योजना के नाम पर मीडिया की सुर्खियां बटोरने में लगे हैं और भोली भाली जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जन-धन योजना का लाभ किसी को मिलने वाला नहीं है। यह सिर्फ वाहवाही लूटने का तमाशाई खेल है या यों कह लीजिए कि भाजपा और आरएसएस की ओछी राजनीति है।

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले नए डीजीपी की नियुक्ति

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी। कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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