खेल-कूद
इस वर्ष महिला खिलाड़ियों ने लहराया दुनिया में तिरंगा
नई दिल्ली | रियो ओलम्पिक में तिरंगे के मान-सम्मान को बनाए रखने की बात हो या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का लोहा मनवाने का जज्बा, इस साल भारतीय महिलाएं विश्व खेल जगत में भारत का मस्तक ऊंचा रखने में अपने साथी पुरुष खिलाड़ियों से कहीं आगे रहीं।
भारत को इस साल रियो ओलम्पिक में सिर्फ दो पदक मिले और ये दोनों पदक देश को महिला खिलाड़ियों ने ही दिलाए।
बैडमिंटन में पी. वी. सिंधु ने पहली बार देश को रजत पदक दिलाया। वह किसी भी ओलम्पिक स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं।
वहीं ब्राजीलियाई महानगर रियो डी जनेरियो में हुए ओलम्पिक खेलों में भारत के पदक के इंतजार को महिला पहलवान साक्षी मलिक ने खत्म किया। साक्षी ने कुश्ती में कांस्य पदक हासिल किया और ओलम्पिक में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान बनीं।
रियो ओलम्पिक में हिस्सा लेने वाली एक भारतीय महिला खिलाड़ी ऐसी भी रहीं, जिन्होंने पदक जीतने बिना पूरे देशवासियों का दिल जीत लिया। जिम्नास्टिक्स में पहली बार ओलम्पिक में भारत की दावेदारी पेश कर रहीं दीपा कर्माकर ने फाइनल तक का सफर तय किया और बेहद मामूली अंतर से वह पदक से चूक गईं।
त्रिपुरा के एक छोटे से गांव से ओलम्पिक के फाइनल तक का सफर तय करने वाली भारतीय जिमनास्ट दीपा कर्माकर ने जिम्नास्टिक्स में वह कारनामा कर दिखाया, जिसे देखकर रियो ओलम्पिक में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली अमेरिकी जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सकीं।
ओलंपिक में 52 साल बाद कोई भारतीय जिमनास्ट फाइनल तक पहुंचने में सफल रहा। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट भी बनीं।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ओलम्पिक की इन महिला विजेताओं को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा।
भारतीय महिला हॉकी टीम ने भी इस वर्ष सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। देश की महिला हॉकी टीम ने 36 साल बाद ओलम्पिक खेलों में प्रवेश किया। वे जीत के सूखे को खत्म नहीं कर पाईं लेकिन उनका ओलम्पिक में प्रवेश का प्रयास सफल रहा।
लेकिन ओलम्पिक की असफलता ने भारतीय महिला हॉकी टीम का हौसला नहीं तोड़ा और उन्होंने पहली बार एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता।
गोल्फ के क्षेत्र में भी भारत की बेटी ने नया कारनामा कर दिखाया। अदिति अशोक ओलम्पिक में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। इसके अलावा उन्होंने इस साल हीरो महिला इंडियन ओपन खिताब भी जीता और इस प्रक्रिया में वह एक लेडीज यूरोपीयन टूर खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाकर जिंदगी में आगे बढ़ने वाली दीपा मलिक ने इस साल रियो पैरालम्पिक में रजत पदक जीत दिखा दिया कि कोशिश करने वाले कभी नहीं हारते।
मलिक ने रियो पैरालम्पिक की गोला फेंक स्पर्धा (एफ 53) में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 4.61 मीटर दूर गोला फेंक रजत पदक हासिल किया। इस जीत के साथ ही वह पैरालम्पिक खेलों में भारत के लिए पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं।
दीपा दो बच्चों की मां हैं और उनके पति सेना में अधिकारी हैं। कमर से नीचे लकवाग्रस्त दीपा को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी रीढ़ की हड्डी में एक ट्यूमर था जिसे 1999 में ऑपरेशन के जरिए हटाया गया। हालांकि 31 सर्जरी के दौरान उनके कमर के निचले हिस्से में 183 टांके लगे और इसके बाद छह वर्षो तक वह व्हीलचेयर पर रहीं। लेकिन छह वर्षो के बाद उन्होंने पैरा-खेलों की ओर रुख किया और आज वह देश की बेहद सफल पैरा-खिलाड़ियों में शुमार हैं।
ऑफ़बीट
IND VS AUS: ताश के पत्तों की तरह बिखरा भारत का बैटिंग आर्डर, पूरी टीम 150 रनों पर ढेर
नई दिल्ली। पर्थ के मैदान पर टीम इंडिया के बल्लेबाजी क्रम की एक बार फिर पोल खुल गई। 49.4 ओवर खेलकर ही भारत की पूरी टीम सिर्फ 150 रन बनाकर ढेर हो गई। टीम के छह बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर सके। पर्थ की पिच पर ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने ऐसा कहर बरपाया कि टीम इंडिया का मजबूत बैटिंग ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।
टीम इंडिया की शुरुआत ही बेहद खराब हुई। यशस्वी जायसवाल बिना खाता खोले ही मिचेल स्टार्क की गेंद पर पवेलियन लौट गए। देवदत्त पडिक्कल ने 23 गेंदों का सामना किया, लेकिन वो अपने नाम के आगे एक रन तक नहीं लिखवा सके। नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे विराट कोहली से फैन्स को काफी उम्मीदें थीं। हालांकि, विराट का किस्मत ने एक बार फिर साथ नहीं दिया और वह जोश हेजलवुड के हाथ से निकली बेहतरीन गेंद पर अपना विकेट गंवा बैठे। भोजनकाल से पहले 23वें ओवर में मिचेल स्टार्क ने के एल राहुल (26) को आउट कर भारत को बड़ा झटका दिया।
लंच के बाद चार विकेट पर 51 रन के आगे खेलने उतरी भारतीय टीम दूसरे सेशन में 24.4 ओवर में मात्र 99 रन ही जोड़ पाई और बचे हुए बाकी विकेट गवां दिये। 59 के स्कोर पर भारतीय टीम को पांचवां झटका लगा। मिचेल मार्श ने ध्रुव जुरेल को मार्नस लाबुशेन के हाथों कैच आउट कराया। जुरेल 11 रन बनाकर आउट हुए।
इसके बाद वॉशिंगटन सुंदर मात्र चार रन बनाकर मिचेल मार्श की गेंद पर विकेटकीपर एलेक्स कैरी को कैच थमा बैठे। भारत ने छह विकेट गिरने के बाद ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी बल्लेबाजी करने आए और उन्होंने ऋषभ पंत के साथ छठे विकेट के लिए 48 रन जोड़े। भारत को सातवां झटका ऋषभ पंत के रूप में लगा। वह 37 रन बनाकर पैट कमिंंस की गेंद पर दूसरी स्लिप में खड़े स्टीव स्मिथ को कैच थमा बैठे।
इसके बाद हर्षित राणा मात्र 7 रन बनाकर जोश हेजलवुड की गेंद पर मार्नस लॉबुशेन को कैच थमा बैठे। भारत का नौवां विकेट जसप्रीत बुमराह के रूप में गिरा, जो जोश हेजलवुड की गेंद पर विकेटकीपर कैरी को कैच थमा बैठे। वहीं आखिरी विकेट नीतीश रेड्डी का गिरा। रेड्डी को पैट कमिंस ने उस्मान ख्वाजा के हाथों कैच आउट कराया।
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