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मानव कल्याण के लिए कालचक्र पूजा

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मानव कल्याण के लिए कालचक्र पूजा

बोधगया (बिहार) | बौद्ध संप्रदाय में ज्ञानस्थली के रूप में विख्यात बिहार के बोधगया में दो जनवरी से प्रारंभ 34वीं कालचक्र पूजा में भाग लेने के लिए लाखों बौद्ध धर्म अनुयायी यहां पहुंचे हैं। कालचक्र अनुष्ठान दुनियाभर के उन लोगों को एकसाथ लाने का महान अनुष्ठान है, जो लोग मानवता के पक्षधर हैं, जिनके मन में करुणा, दया, सत्य, शांति और अहिंसा जैसे महान मानवीय मूल्यों के प्रति श्रद्धा और आस्था है।

बोधगया में कालचक्र पूजा की शुरुआत सोमवार को हुई। इस धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ तिब्बतियों के काज्ञू पंथ के धर्मगुरु दलाई लामा ने किया। बोधगया में पांचवीं बार कालचक्र पूजा का आयोजन किया जा रहा है।

34वीं कालचक्र पूजा समिति के सचिव तेनजीन लामा ने आईएएनएस को बताया कि कालचक्र पूजा विश्व शांति के लिए की गई अनूठी और शक्तिशाली प्रार्थना मानी जाती है। वे कहते हैं, “महायान परंपरा में तंत्र साधना के माध्यम से कालचक्र अभिषेक के द्वारा शांति, करुणा, प्रेम व अहिंसा की भावना को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास जाता है।”

वे बताते हैं कि दलाई लामा ने बड़ी स्पष्ट और व्यावहारिक व्याख्या की है। उनका कहना है कि बौद्ध धर्म शांति और अहिंसा को मानने वाला है। इसमें धर्मयुद्ध का मतलब लोगों से युद्ध करना नहीं, बल्कि संसार में फैली बुराइयों से, दूषित चित्तवृत्तियों से लड़कर, उन्हें हराकर मानवता के, विश्वकल्याण के, सत्य-शांति-अहिंसा के धर्म का शासन स्थापित करना है। कालचक्र पूजा इसी का सार है।”

बोधगया में सारनाथ तिब्बती विश्वविद्यालय में शोध विभाग में कार्यरत प्रोफेसर एल़ डी़ रावलिंग बताते हैं कि कालचक्र का अर्थ है ‘समय का चक्र’।

उन्होंने बताया कि कालचक्र पूजा एक तंत्र का अभिषेक है। यह एक तांत्रिक अनुष्ठान भी माना जाता है। कालचक्र अभिषेक में बौद्ध कर्मकांड को लेकर प्रवचन तथा अंत में दीक्षा शामिल है। कालचक्र की शुरुआत देवताओं के आह्वान और वान मंडाला का निर्माण और भूमि पूजन कर की जाती है। पूजा स्थल पर एक कुंड बनाया जाता है। धर्मगुरु की उपस्थिति में दक्ष लामा द्वारा पानी भरा जाता है।

इसके बाद तंत्र के प्रतीक ‘मंडला’ का निर्माण प्रारंभ किया जाता है। मंडला निर्माण में धर्मगुरु की सहायता दक्ष लामा करते हैं। मंडला के बाहर धर्मगुरु द्वारा धार्मिक मंत्र उकेरा जाता है। मंडला को बुरी आत्माओं से दूर रखने के लिए लामाओं द्वारा पारंपरिक परिधान व वाद्ययंत्र के साथ नृत्य किया जाता है। पूजा समापन के बाद श्रद्धालु मंडला का दर्शन करते हैं और अंत में इसे तालाब या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।

रावलिंग बताते हैं, “प्राचीन नालंदा, राजगीर और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के माध्यम से कालचक्र तंत्र का खूब प्रचार-प्रसार हुआ, कालांतर में कालचक्र तंत्र का महत्व बौद्धतंत्रों में लगातार बढ़ता गया। यही कारण है कि बौद्ध धर्म के टीकाकारों तथा बौद्ध आचार्यो ने ‘कालचक्र तंत्र’ को तंत्रराज, आदिबुद्ध और बृहदादिबुद्ध नाम दिए हैं।”

उल्लेखनीय है कि पहली कालचक्र पूजा 1954 में नोरबुलिंगा, तिब्बत में हुई थी, वहीं 332वीं कालचक्र पूजा जुलाई 2015 में लेह, लद्दाख में आयोजित की गई थी।

बोधगया में इसके पूर्व 1974, 1985, 2002 तथा जनवरी 2012 में कालचक्र पूजा का आयोजन किया गया है।

तेनजीन लामा कहते हैं, “कालचक्र धार्मिक पूजा या अनुष्ठान का एक सामाजिक पक्ष है, जिसके मूल में मानवता की भावना निहित होती है, सामाजिक समरसता की भावना निहित होती है। अन्य धर्मो और मतों के द्वारा बड़े स्तर पर आयोजित किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों और आयोजनों-विधानों की तुलना में बौद्ध धर्म की परंपरागत कालचक्र पूजा का स्थान श्रेष्ठ है।”

उन्होंने कहा कि अन्य धर्मो की तरह बौद्ध धर्म की कालचक्र पूजा में शामिल होने के लिए जाति-धर्म का कोई बंधन नहीं है।

बोधगया में 34 वें कालचक्र पूजा का समापन 14 जनवरी को होगा। इस पूजा में जापान, भूटान, तिब्बत, नेपाल, म्यांमार, स्पेन, रूस, लाओस, वर्मा, श्रीलंका के अलावा कई देशों के बौद्ध श्रद्धालु और पर्यटक भाग ले रहे हैं।

कालचक्र पूजा को बौद्ध श्रद्घालुओं का महाकुंभ कहा जाता है। यह उनकी सबसे बड़ी पूजा है। इस प्रार्थना की अगुआई तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ही करते हैं।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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