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झारखंड के मुख्यमंत्री को अपनी ही पार्टी में आलोचनाओं का सामना

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झारखंड के मुख्यमंत्री को अपनी ही पार्टी में आलोचनाओं का सामनारांची | झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में सब कुछ सही नहीं दिख रहा है। खासकर राज्य की रघुवर दास सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। राज्य में भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री ही सरकार के कामकाज को लेकर आवाज उठा रहे हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास 105 खदानों के पट्टों के नवीनीकरण और दो भूमि अधिनियमों में संशोधन किए जाने को लेकर अपनी ही पार्टी में कड़ी आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं।

राज्य में भाजपा कार्यकारिणी की जमशेदपुर में बैठक के दूसरे दिन बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने दो भूमि अधिनियमों में संशोधन का मुद्दा उठाया।

मुंडा ने कहा, “राज्य सरकार ने दो भूमि अधिनियमों–छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन किया। इसका लोगों के दिल-दिमाग पर सीधा प्रभाव पड़ा है।”

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को दो भूमि अधिनियमों में संशोधनों पर फिर से विचार करना चाहिए। इस तरह का निर्णय लेने से पहले, दीर्घकालिक प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए। मैंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था, लेकिन कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया।”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रघुवर दास ने बैठक में कहा, “हम जनजातीय लोगों के नाम पर राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे। यहां कुछ लोग ऐसे हैं जो पार्टी पर अपना निजी एजेंडा थोपना चाहते हैं।”

झारखंड के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री सरयू राय ने अपनी ही सरकार के 100 से ज्यादा खदानों के पट्टे के नवीनीकरण के फैसले को लेकर सवाल उठाया। राय मामले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को कैबिनेट बैठक से बाहर चले गए थे।

बैठक में मौजूद एक अधिकारी के अनुसार, राय ने कैबिनेट के 105 खदानों के पट्टे के नवीनीकरण के फैसले के मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य कैबिनेट के पास पट्टे के नवीनीकरण का अधिकार नहीं है। उन्होंने बैठक से बाहर जाने से पहले कहा कि भले ही सीबीआई दस साल बाद इस मामले की फाइल खोले, फिर भी वह जेल नहीं जाना चाहते।

रघुवर दास की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने दिसंबर में हुई कैबिनेट बैठक में 105 खानों के पट्टों के नवीनीकरण को मंजूरी दी थी। इस बैठक में राय नहीं मौजूद थे।

राय ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें 10 जनवरी को कैबिनेट बैठक में बोलने की अनुमति नहीं दी गई।

राय ने पत्र में लिखा है, “मैं इस मुद्दे पर अपना विचार 10 जनवरी की कैबिनेट बैठक में रखना चाहता था लेकिन मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। संसदीय प्रणाली में असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं है। कैबिनेट के भीतर या बाहर यदि संवाद नहीं होता है तो यह स्वस्थ प्रणाली नहीं है।”

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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