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प्रादेशिक

बुंदेलखंड : माया को अपनी ही कौम पर भरोसा!

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mayawati-bsp उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड की 19 में से 5 अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित विधानसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने ‘अपनी ही कौम’ से ताल्लुक रखने वाले सभी उम्मीदवार उतारे हैं, इससे अन्य अनुसूचित जातियों में काफी रोष है।

गुस्साए लोगों का कहना है कि मायावती को अन्य अनुसूचितों पर भरोसा नहीं रहा, इसलिए टिकट वितरण में अपनी ही कौम को उन्होंने तवज्जो दिया है। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड अंचल के सात जनपदों- बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर में विधानसभा की उन्नीस सीटें हैं, इनमें पांच बांदा की नरैनी, हमीरपुर की राठ, जालौन की उरई सदर, ललितपुर की महरौनी और झांसी की मऊरानीपुर सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

बसपा ने 2012 के चुनाव में भी इन सीटों पर अनुसूचित जाति की एक विशेष बिरादरी के नेताओं पर दांव लगाया था, जिस वजह से बांदा की नरैनी से गयाचरण दिनकर और ललितपुर की महरौनी से फेरनलाल अहिरवार की जीत के अलावा तीन सीटों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा था। साथ ही अनारक्षित सीटों पर भी इसका असर हुआ और सामान्य 14 में से सिर्फ पांच सीटें (कुल सात) ही उसके खाते में जा पाई थीं।

इस बार के चुनाव में भी बसपा ने इन आरक्षित सीटों में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली एक विशेष कौम (जाटव) से बांदा की नरैनी सीट पर गयाचरण दिनकर, हमीरपुर से अनिल अहिरवार, जालौन से अजय सिंह, झांसी की मऊरानीपुर से प्रागीलाल अहिरवार और ललितपुर की महरौनी से फेरनलाल अहिरवार (सभी जाटव) को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां की सभी 19 सीटों में जाटव के अलावा कोरी, खटिक, मेहतर, कुछबंधिया, धोबी, पासी, बहेलिया, भाट आदि कई अनुसूचित जाति के मतदाता बहुसंख्यक हैं, लेकिन बसपा ने किसी पर भरोसा नहीं जताया। ऐसा भी नहीं कि बसपा में अन्य कौम के नेता नहीं हंै।

करीब 15 साल से बसपा संगठन के कई ओहदों में काम कर रहे नरैनी के हरीराम कबीरबेदी का कहना है, “बसपा संस्थापक कांशीराम का वह नारा ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ का अब कोई मतलब नहीं रहा। अनुसूचित जाति की अन्य कौमें बसपा में सिर्फ दरी बिछाने और कुर्सी उठाने के लिए पूछी जाती है, चुनाव लड़ाने में उनसे परहेज किया जा रहा है।”

वह कहते हैं कि बराबर की राजनैतिक हिस्सेदारी न मिलने पर ही अनुसूचित वर्ग में शामिल हजारों मतदाता पिछले चुनाव में तितर-बितर हो गए और बसपा का गढ़ होने के बाद भी 12 सीटों पर अन्य दलों के उममीदवार चुनाव जीत गए।

नरैनी विधायक और उप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गयाचरण दिनकर के कभी दायां हाथ माने जा रहे उन्हीं के गांव गौरीखानपुर के वाशिंदे बंशगोपाल निर्मल (कोरी) का कहना है कि अनुसूचित जाति की अन्य कौमों के लिए बसपा भी अन्य दलों से पीछे नहीं है। कांशीराम के जमाने में बसपा एक मिशन थी, अब सिर्फ राजनैतिक दल है जो अन्य दलों की भांति दलितों को गुमराह कर सत्ता के शीर्ष तक पहुंचना चाह रही है।
उन्होंने कहा, “मायावती को चाहिए था कि प्रदेश की सभी सुरक्षित 85 सीटों पर अन्य दलितों को ही चुनाव लड़ातीं, क्योंकि वह खुद मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं, लेकिन उन्हें अन्य दलितों पर भरोसा नहीं रहा।”

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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