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मुख्य समाचार

आरक्षण कोई समाप्त नहीं कर सकता : रामविलास पासवान

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Ram-Vilas-paswanनई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने रविवार को यहां कहा कि आरक्षण एक संवैधानिक अधिकार है और कोई भी इसे समाप्त नहीं कर सकता।

पासवान ने एक बयान में कहा, “डॉ. अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए ‘पूना समझौते’ के अनुसार आरक्षण प्रदान किया गया। यह कोई दान नहीं है, जिसे किसी के चाहने से स्वीकारा या खत्म किया जा सकता है। किसी की व्यक्तिगत टिप्पणी से चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।”

उन्होंने कहा, “जब तक जाति आधारित प्रणाली बची रहेगी, आरक्षण तब तक प्रभावी बना रहेगा।” पासवान की यह प्रतिक्रिया राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य के आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी के एक दिन बाद आई है।

पासवान ने आरक्षण व्यवस्था में हस्तक्षेप के प्रयासों पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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