लाइफ स्टाइल
यात्रा के दौरान ऐसे दिखें तरोताजा
नई दिल्ली | यात्रा के दौरान तरोताजा दिखने से मन प्रसन्न रहता है और दूसरे लोग भी आपके व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं, इसलिए चाहे आप धूप सेंकने समुद्र तट पर जाएं या फिर ठंडी हवाओं के झोंकों का आनंद लेने के लिए पर्वतारोहण करें, आप हमेशा तरोताजा और ऊर्जावान दिखने चाहिए।
‘कॉस्मेटिक स्किन एंड होमियो क्लीनिक’ की सौंदर्य विशेषज्ञ करुना मल्होत्रा ने सुंदर व ऊर्जावान दिखने के ये टिप्स दिए हैं :
– जहां भी जाएं पानी खूब पीएं, जिससे आपका शरीर स्वस्थ रहे और चेहरा तरोताजा और खिला नजर आए। शरीर को हाइड्रेट रखने से आपको यात्रा के दौरान होने वाली थकान और सिरदर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा।
– हवाई यात्रा करने पर ज्यादा ऊंचाई में विमान उड़ने से और एयर कंडीशनिंग से आपकी त्वचा रूखी हो सकती है, इसलिए घर से रवाना होने से पहले ही मॉइश्चराइजर जरूर लगा लें। बाजार में आजकल स्प्रिंग वाटर टोनर भी उपलब्ध है, जो फौरन आपकी त्वचा को नमी प्रदान करता है, साथ ही बढ़िया कंपनी का एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लगाएं।
– यात्रा के दौरान होठों की देखभाल भी जरूरी है, क्योंकि यह फट सकते हैं, इसलिए होंठ में कोमलता व नमी बनाए रखने के लिए लिप बॉम या लिप ग्लॉस जरूर लगाएं।
– यात्रा के दौरान पसीना पोंछने या चेहरा साफ करने के लिए क्लीजिंग वाइप्स जरूर अपने साथ रखें। रात में क्लीजिंग मिल्क से चेहरा साफ करना नहीं भूलें।
– छुट्टियां मनाने के दौरान भी पर्याप्त नींद जरूर लें, इससे आपके त्वचा की चमक बरकरार रहेगी और आप तरोताजा नजर आएंगे।
– अल्कोहल (शराब) का सेवन न करें, इससे आपके सोने के निर्धारित समय में भी खलल पड़ सकती है और आपकी त्वचा भी रूखी हो सकती है।
– घूमने-फिरने के दौरान स्वस्थ आहार लें। फलों और सब्जियों का सेवन करें। जंक फूड के सेवन से आपकी सेहत खराब हो सकती है और चेहरा भी नीरस और रूखा नजर आ सकता है।
– अगर आपके बाल ज्यादा लंबे हैं तो फिर जूड़ा बान लें, इससे बाल उलझेंगे नहीं। बालों को ज्यादा कसकर नहीं बांधे या टाइट जूड़ा नहीं बनाएं इससे बाल टूट सकते हैं।
– छोटे बालों पर पानी के छीटें मारें, इससे आपके बाल में फिर से घनापन भी आता है। आप चाहें तो स्प्रे बॉटल से या एक कप में पानी लेकर उंगलियों को भिगोकर उससे बालों की जड़ों में मसाज करें, इससे रक्त संचार भी सही होगा और बाल भी घने और लंबे होंगे।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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