बिजनेस
क्रेडिट की मांग में सुधार की उम्मीद
चेन्नई | भारतीय बैंकरों को उम्मीद है कि 3-6 महीने में क्रेडिट की मांग में सुधार होगा, जो 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद घट गई है। एक सर्वे के अनुसार, बैंकर वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग पर नियंत्रण के लिए एक नियामक भी चाहते हैं।
फिक्की-आईबीए द्वारा किए गए द्विवार्षिक बैंकर्स सर्वे (जुलाई-दिसंबर 2016) के अनुसार, क्रेडिट की मांग घट गई है, क्योंकि आठ नवम्बर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोटों के चलन बंद करने से नकदी की कमी के कारण खपत प्रभावित हुई है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने एक बयान जारी कर कहा है कि सर्वेक्षण के दौरान कई प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि 3 से 6 महीने में क्रेडिट की मांग में सुधार होगा, क्योंकि इस अवधि में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की आशा है।
नोटबंदी के साथ नकदी निकालने पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण बैंकों में लोगों के चालू खातों और बचत खातों में काफी राशि जमा कराई गई, जिससे तरलता में वृद्धि हुई है। जबकि उनके धन की लागत कम हो गई है।
नतीजा है कि बैंकों ने भी सभी अवधि के लिए धन के मार्जिनल मूल्य आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) घटाई है।
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन गत साल दिसंबर में बैंकों ने एमसीएलआर में कमी कर दी थी।
सर्वे के दौरान उत्तरदाताओं ने बैंकिंग सेवाओं के डिजिटीकरण पर बल देने का स्वागत किया, क्योंकि इससे लेनदेन की लागत घटेगी। लेकिन डिजिटल भुगतान का तरीका अपनाने के लिए प्रोत्साहन देने की मांग की।
सर्वे के अनुसार, ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग पर नजर रखने और उसपर नियंत्रण करने की आवश्यकता को लेकर बैंकर्स सहमत थे।
फिक्की के बयान में कहा गया है, “अन्य सुझावों में वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए अनिवार्य सूचना प्रणाली और अगर किसी दावा को हल करने की जरूरत होती है तो नियामक के पास एक निश्चित राशि रखने हेतु एक वैधानिक प्रावधान भी शामिल है।”
आगामी बजट से उनकी उम्मीदों के अनुरूप बैंकर्स चाहते हैं कि सरकार कॉरपोरेट कर और निजी आय कर में कमी व अतिरिक्त कटौतियां कर उपभोग मांग और निवेश को बढ़ावा दे।
बैंकर्स यह भी चाहते हैं कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अतिरिक्त पूंजी लगाए, बुरे ऋणों का निपटारा त्वरित गति से करने के लिए कदम उठाए, एक केंद्रीय कॉरपोरेट कोष बनाए और नकद आरक्षित अनुपात संतुलन पर ब्याज का भुगतान करे।
सर्वे में यह भी खुलासा किया गया है कि लौह एवं इस्पात, आधारभूत संरचना और वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बुरे ऋणों का बना रहना जारी रहेगा।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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