Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

हर 8 मिनट में 1 पुरुष कर रहा आत्महत्या

Published

on

Loading

हर 8 मिनट में 1 पुरुष कर रहा आत्महत्या

लखनऊ । एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 की तुलना में पुरुष आत्महत्या में दो प्रतिशत का इजाफा हुआ है और अगर पतियों की बात की जाए तो ये आंकड़ा आठ प्रतिशत है। वहीं 2015 में कुल 64,534 पतियों ने आत्महत्या की, जो अब तक दर्ज सबसे बड़ी संख्या है।

‘कानूनी आतंकवाद’ के शिकार पुष्कर सिंह की 10वीं स्मृति दिवस पर ‘64,000 विवाहित पुरुषों की आत्महत्या का जिम्मेदार कौन, हम रहेंगे कब तक मौन’ विषय पर यहां के प्रेस क्लब में शनिवार को हुई गोष्ठी में पति-परिवार कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ. इंदु सुभाष ने कहा कि अभिनेता ओम पुरी की मौत एक ताजातरीन उदाहरण है कि ‘मर्द को भी दर्द होता है’, एक पुरुष भी अपने परिवार के लिए तड़पता है, टूटता है, बिखरता है और थक हारकर अपनी जान तक गवां देता है।

उन्होंने कहा, “एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट 2015 से चौंकाने वाले सच का खुलासा हुआ है। विगत वर्ष 2014 की तुलना में पुरुष आत्महत्या में दो का इजाफा हुआ है और अगर पतियों की बात की जाए तो ये आंकड़ा आठ प्रतिशत तक पहुंच जाता है।”

डॉ. इंदु ने बताया, “2015 में कुल 64534 पतियों द्वारा की गई आत्महत्या इतिहास में दर्ज अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इन आंकड़ों के मुताबिक, हर आठ मिनट में एक यानी कि हर दिन 180 पति आत्महत्या कर रहे हैं। जबकि इनकी तुलना में पत्नियों की संख्या मात्र 78 है। फिर भी महिला सुरक्षा और कल्याण के लिए इस वर्ष बजट में 178 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है और पुरुषों के लिए शून्य, जबकि टैक्स का 90 प्रतिशत पुरुषों द्वारा जमा होता है।”

गोष्ठी में कहा गया, “सरकार, समाज और पूरी न्याय व्यवस्था सिर्फ और सिर्फ महिला सुरक्षा, सम्मान और उत्थान की बात करते हैं। चुनाव में भी जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने पर तो न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 14 के आधार पर प्रतिबंध लगा दिया, मगर इसी अनुच्छेद में धर्म, जाति के साथ साथ लिंग के आधार पर प्रतिबंध नहीं लगाया और सारे राजनैतिक दल खुलेआम धड़ल्ले से महिलाओं के नाम पर आधी आबादी की राजनीति कर रहे हैं। चुनाव आयोग तक अपनी आंखें मूंद लेता है।”

डॉ. इंदु ने कहा, “पुरुषों की आत्महत्या का मूल कारण हमारी पुरुष प्रधानता सामाजिक व्यवस्था है, जिसमें उसे अपने पूरे परिवार और समाज की रक्षा और भरण-पोषण की जिम्मेदारी दी गई है और ये कहा गया है कि ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ वह अपनी पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारी पूरे तन-मन-धन से निभाता है, लेकिन अपनी समस्याओं और दुख-दर्द को किसी से कह नहीं पाता है। अंदर ही अंदर घुटता रहता है और भावनात्मक सहारा नहीं मिल पाने से बहुत बार वह पूरी तरह से टूट जाता है और आत्महत्या तक कर लेता है।”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा पुरुषों की आत्महत्या में 3.3 प्रतिशत आर्थिक तंगी, दो प्रतिशत बेरोजगारी, 15.6 प्रतिशत बीमारी, 27.6 प्रतिशत पारिवारिक कलह, 4.8 प्रतिशत वैवाहिक दिक्कतें, 3.3 प्रतिशत प्रेम-प्रसंग, 22.2 प्रतिशत अन्य और 12.1 प्रतिशत अज्ञात कारण हैं।”

गोष्ठी में इन आत्महत्याओं के कारण और निवारण गिनाते हुए मांग की गई कि इन आत्महत्याओं व पुरुषों की दिक्कतों के समाधान के लिए पुरुष मंत्रालय और पुरुष आयोग का तुरंत गठन किया जाए।

कहा गया, “पुरुषों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों को कठोर दंड देने के कानूनी प्रावधान किए जाए। यही नहीं सभी लिंगभेदी कानूनों को संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए। साथ ही मांग की गई कि सभी राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में इन मांगों को शामिल करे। यदि वह ऐसा नहीं करते तो हम ‘नोटा’ का बटन दबाकर अपना विरोध जताएंगे।”

उत्तर प्रदेश

जन महत्व की परियोजनाओं में समयबद्धता-गुणवत्ता से समझौता नहीं, गड़बड़ी मिली तो जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सब की जवाबदेही तय होगी: मुख्यमंत्री

Published

on

Loading

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को लोक निर्माण विभाग की विभिन्न परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और निर्माणकार्यों की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए विभिन्न आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। *बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश:- *

● सड़क निर्माण की परियोजना तैयार करते समय स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखें। प्रत्येक परियोजना के लिए समयबद्धता और गुणवत्ता अनिवार्य शर्त है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता। गड़बड़ी पर जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सबकी जवाबदेही तय होगी। एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन होगा तो कांट्रेक्टर/फर्म को ब्लैकलिस्ट होगा और कठोर कार्रवाई भी होगी। पेटी कॉन्ट्रेक्टर/सबलेट की व्यवस्था स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।

● DPR को अंतिम रूप देने के साथ ही कार्य प्रारंभ करने और समाप्त होने की तिथि सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए और फिर इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए। बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। पूर्ण हो चुके कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराई जाए।

● सड़क और सेतु हो अथवा आमजन से जुड़ी अन्य निर्माण परियोजनाएं, स्वीकृति देने से पहले उसकी लोक महत्ता का आंकलन जरूर किया जाए। विकास में संतुलन सबसे आवश्यक है। पहले आवश्यकता की परख करें, प्राथमिकता तय करें, फिर मेरिट के आधार पर किसी सड़क अथवा सेतु निर्माण की स्वीकृति दें। विकास कार्यों का लाभ सभी 75 जनपदों को मिले।

● दीन दयाल उपाध्याय तहसील/ब्लाक मुख्यालय योजना अंतर्गत प्रदेश के समस्त तहसील/ब्लॉक मुख्यालय को जिला मुख्यालय से न्यूनतम दो लेन मार्गों से जोड़े जाने का कार्य तेजी से पूरा किया जाए। एक भी तहसील-एक भी ब्लॉक इससे अछूता न रहे।

● प्रदेश के अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भव्य ‘मैत्री द्वार’ बनाने का कार्य तेजी के साथ पूरा कराएं। जहां भूमि की अनुपलब्धता हो, तत्काल स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें। द्वार सीमा पर ही बनाए जाएं। यह आकर्षक हों, यहां प्रकाश व्यवस्था भी अच्छी हो। अब तक 96 मार्गों पर प्रवेश द्वार पूर्ण/निर्माणाधीन हैं। अवशेष मार्गों पर प्रवेश द्वार निर्माण की कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए।
● गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की सड़कों का निर्माण अब लोक निर्माण विभाग द्वारा ही किया जा रहा है। यह किसानों-व्यापारियों के हित से जुड़ा प्रकरण है, इसे प्राथमिकता दें। यहां गड्ढे नहीं होने चाहिए।अभी लगभग 6000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण किया जाना है। इन्हें एफडीआर तकनीक से बनाया जाना चाहिए। इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।

● धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर अच्छी सड़कें हों, पर्यटकों/श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा हो, सड़कों के निर्माण/चौड़ीकरण किये जा रहे हैं। इसमें प्रत्येक जिले के सिख, बौद्ध, जैन, वाल्मीकि, रविदासी, कबीरपंथी सहित सभी पंथों/ संप्रदायों के धार्मिक/ऐतिहासिक/पौराणिक महत्व के स्थलों को जोड़ा जाए। मार्ग का चयन मानक के अनुरूप ही हो। जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर धर्मार्थ कार्य विभाग और संबंधित जिलाधिकारी के सहयोग से इसे समय से पूरा कराएं।

● सड़क निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के कार्यों में पर्यावरण संरक्षण की भावना का पूरा ध्यान रखा जाए। कहीं भी अनावश्यक वृक्ष नहीं कटने चाहिए। सड़क निर्माण की कार्ययोजना में मार्ग के बीच आने वाले वृक्षों के संरक्षण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित करें।

● देवरिया-बरहज मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।

● औद्योगिक विकास विभाग, एमएसएमई एवं जैव ऊर्जा विभाग द्वारा डिफेंस कॉरिडोर, औ‌द्योगिक लॉजिस्टिक्स पार्क, औ‌द्योगिक क्षेत्र और प्लेज पार्क योजना जैसी बड़े महत्व की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्रों तक आने-जाने के लिए चयनित मार्गों को यथासंभव फोर लेन मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए।

● ऐसे राज्य मार्ग जो वर्तमान में दो-लेन एवं दो-लेन से कम चौड़े हैं उन्हें लोक महत्ता के अनुरूप न्यूनतम दो-लेन विद पेव्ड शोल्डर की चौड़ाई में निर्माण किया जाना चाहिए।

● सभी विधानसभाओं के प्रमुख जिला मार्गों को न्यूनतम दो-लेन (7 मीटर) एवं अन्य जिला मार्गों को न्यूनतम डेढ़-लेन (5.50 मीटर) चौडाई में निर्माण कराया जाए। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, प्राथमिकता तय करें और कार्य प्रारंभ कराएं।

● क्षतिग्रस्त सेतु, जनता द्वारा निर्मित अस्थाई पुल, संकरे पुल, बाढ़ के कारण प्रायः क्षतिग्रस्त होने वाले मार्गों पर पुल तथा सार्वजनिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर सेतु निर्माण को प्राथमिकता में रखें। हर विधानसभा में जरूरत के अनुसार 03 लघु सेतुओं के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करें।

● जहां भी दीर्घ सेतु क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए। सभी जिलों से प्रस्ताव लें, जहां दीर्घ सेतु की आवश्यकता हो, कार्ययोजना में सम्मिलित करें। शहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त/संकरे सेतुओं के स्थान पर नये सेतुओं का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। इसका लाभ सभी जिलों को मिलना चाहिए।

● रेल ओवरब्रिज/रेल अंडरब्रिज से जुड़े प्रस्तावों को तत्काल भारत सरकार को भेजें। राज्य सरकार द्वारा इसमें हर जरूरी सहयोग किया जाए।

● शहरों की घनी आबादी को जाम से मुक्ति दिलाने हेतु बाईपास रिंगरोड/फ्लाईओवर निर्माण कराया जाना चाहिए। निर्माण कार्य का प्रस्ताव शहर/कस्बे की आबादी एवं प्राथमिकता के आधार पर तैयार किया जाए।

● वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ऐसी बसावट/ग्राम जिसकी आबादी 250 से अधिक हो तथा मार्ग की लम्बाई 1.00 किमी या उससे अधिक हो, उन्हें एकल कनेक्टिीविटी प्रदान किये जाने हेतु संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जाए। इसी प्रकार, दो ग्रामों/बसावों को जिनकी आबादी 250 से अधिक है, को इंटर-कनेक्टिविटी प्रदान किये जाने हेतु सम्पर्क मार्ग का निर्माण भी हो। इसके लिए सर्वे कराएं, आवश्यकता को परखें, फिर निर्णय लें।

Continue Reading

Trending