उत्तराखंड
उत्तराखंड में 68 फीसदी मतदान, हार्ट अटैक से निर्वाचन अधिकारी की मौत
देहरादून। उत्तराखंड में बुधवार को हुए विधानसभा चुनाव में लगभग 68 फीसदी मतदान की खबर है, जो पिछले दो विधानसभा चुनाव में हुए मतदान प्रतिशत से बेहतर है। एक चुनाव अधिकारी ने कहा, “इस बार 68 फीसदी मतदान हुआ। साल 2012 विधानसभा चुनाव में 66 फीसदी और साल 2007 में 64 फीसदी वोट पड़े थे।” वहीं वोटिंग के दौरान एक निर्वाचन अधिकारी की दिल का दौरा पडऩे से बुधवार को मौत हो गई। अधिकारी की पहचान करण सिंह के रूप में हुई है। वह राज्य सिंचाई विभाग में अधीक्षक अभियंता के रूप में सेवारत थे। उन्हें पास के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
नैनीताल में 70 फीसदी, हरिद्वार में 70 फीसदी, उत्तरकाशी में 73 फीसदी तथा उधमसिंह नगर में 70 फीसदी मतदान हुआ। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य की 70 में से 69 सीटों पर मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। कर्णप्रयाग में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार की मौत के कारण वहां चुनाव टाल दिया गया था। वहां नौ मार्च को मतदान होगा।
राज्य के गठन के बाद यह चौथा विधानसभा चुनाव है, जहां 75 लाख मतदाता 628 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। कुछ जगहों पर खराब मौसम के बावजूद पुरुष व महिला मतदाताओं ने मतदान में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
अधिकारियों के मुताबिक, 11 मार्च की सुबह तक डाक मतपत्र प्राप्त किए जाएंगे और उसी दिन उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना होगी।
राज्य में कुल 10,685 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जिनमें से 1,409 को ‘अत्यंत संवेदनशील’ घोषित किया गया था। यमुनोत्री में एक मतदान केंद्र समुद्र स्तर से 9,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित था। उत्तराखंड में कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी दौड़ में शामिल है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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