प्रादेशिक
अखिलेश राज में 2454 आईपीएस के हुए तबादले, फिर भी नहीं सुधरी कानून-व्यवस्था
लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां प्रदेश में कानून का राज कायम करने की बात कह रहे हैं, वहीं उनकी पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार इसी मुद्दे पर विरोधी दलों के निशाने पर रही। अखिलेशराज में बढ़ते अपराधिक मामलों और वारदातों ने जहां पूरे पांच साल सरकार पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए, वहीं दिलचस्प बात है कि कानून व्यवस्था सुधारने के नाम पर सरकार ने थोक के भाव तबादले किए। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पांच साल में कुल 2454 आईपीएस अधिकारियों को ताश के पत्तों की तरह फेंटा, मगर फिर भी कानून व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी।
उत्तर प्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अफसरों की कुल संख्या 407 है। इसके विपरीत पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में मार्च 2012 से मार्च 2017 की अवधि में उत्तर प्रदेश में कुल 2454 आईपीएस अधिकारियों के तबादले हुए थे। यह तथ्य आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर को आईजी कार्मिक, उत्तर प्रदेश पी.सी. मीना द्वारा दी गयी सूचना से सामने आया है।
आरटीआई सूचना के अनुसार यूपी में 78 आईपीएस अफसर ऐसे हैं, जिनका इस 5 साल की अवधि में 10 या उससे अधिक बार तबादला हुआ। इनमे उमेश कुमार श्रीवास्तव के सबसे अधिक 20 तबादले हुए जबकि अनीस अहमद अंसारी का 18, राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय का 17 तथा दिलीप कुमार का 16 बार तबादला हुआ। हाल में निलम्बित हुए हिमांशु कुमार सहित 05 आईपीएस अफसरों का 5 वर्षों में 15 बार तबादला हुआ।
अखिलेश राज में 215 आईपीएस अफसरों का 05 या उससे अधिक बार तबादला हुआ। इस अवधि में सबसे कम तबादला होने वालों में संजय तरडे (एक बार सीबी-सीआईडी) और कमल सक्सेना (एक बार गृह विभाग) रहे जिनका पूरे काल में एक ही बार तबादला हुआ।
आरटीआई सूचना के अनुसार इस अवधि में सबसे अधिक समय तक निलम्बित रहने वाले अफसर आईजी अमिताभ ठाकुर थे, जिन्हें 10 माह निलंबित रखा गया जबकि अन्य निलम्बित होने वाले अफसर कुछ दिनों या 2-3 महीने में बहाल कर दिए गए।
इन सूचना के अनुसार यूपी में एक आईपीएस अफसर की सेवा अवधि में 27.3 तबादले का औसत पाया गया। पूरी सेवा अवधि में सबसे अधिक तबादला आईजी प्रमोद कुमार मिश्रा का है जिनका 33 साल में 55 बार तबादला हुआ। इसके अलावा आईजी विजय कुमार गर्ग का 52 बार, डीआईजी उमेश कुमार श्रीवास्तव तथा आईजी आर के स्वर्णकार का 51 बार तथा एडीजी गोपाल लाल मीना का 50 बार तबादला हुआ है। यूपी में 50 ऐसे आईपीएस अफसर हैं जिनका पूरे सेवा में 40 या अधिक बार तबादला हुआ है। इन भारी तबादलों का परिणाम यह रहा कि इस 05 वर्ष की अवधि में औसतन 1.3 आईपीएस अफसर प्रति दिन की दर से तबादला हुए जो प्रति आईपीएस 6 तबादले का औसत हुआ।
IANS News
काबू में रहेंगे दाम, चाइनीज लहसुन की तस्करी पर लगेगी लगाम
लखनऊ। देशी लहसुन का उत्पादन बढ़ेगा। मांग और आपूर्ति में संतुलन रहने पर कीमतें काबू में रहेंगी। ऐसे में चीन से जरिए तस्करी आने वाले लहसुन की इंट्री अपने आप बंद हो जाएगी। चूंकि भारत लहसुन का निर्यात भी करता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसानों को भी निर्यात की संभावनाओं का लाभ मिलेगा। योगी सरकार इसके लिए प्रदेश में वैश्विक स्तर की बुनियादी संरचना (एक्सप्रेस वेज) तैयार कर चुकी है। साथ ही जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास ही सरकार किसानों और बागवानों के हित में एक्सपोर्ट हब की भी स्थापना कर रही है। इसे कहते हैं,एक तीर से कई निशाने।
उल्लेखनीय है कि प्याज और लहसुन एक दूसरे के पूरक हैं। भोजन की लज्जत बढ़ाने में दोनों का समान रूप से महत्व है। रही औषधीय गुणों की बात तो लहसुन,प्याज पर भारी पड़ता है। बावजूद इसके प्याज की तुलना में लहसुन को सुर्खियां कम मिलती हैं। अलबत्ता देशी लहसुन की कीमतों के आसमान छूने पर चाइनीज लहसुन की तस्करी पर इसे थोड़ी सुर्खियां मिल जाती हैं। इस साल ही लहसुन 400 रुपए प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड भाव पर बिका। लहसुन की मंहगाई की वजह से आम आदमी की भोजन की लज्जत प्रभावित न हो इसके लिए योगी सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत विशेष योजना के तहत लहसुन की खेती को बढ़ावा दे रही है।
किसानों को लागत का 40 फीसद अनुदान दे रही सरकार
योजना के तहत प्रदेश में प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपये की अनुमान्य इकाई लागत तय की गई है। इसमें किसानों को प्रति हेक्टेयर अधिकतम 12,000 रुपये (40 फीसद)का अनुदान दिया जाएगा। योजना के तहत करीब 10,000 हेक्टेयर अतिरिक्त रकबे पर किसानों को लहसुन की खेती को विस्तार देना है। किसी भी फसल की उत्पादकता में गुणवत्तापूर्ण बीज का योगदान करीब 25 फीसद होता है। इसीलिए सरकार ने फैसला लिया है कि किसानों को बीज राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, ( नई दिल्ली )द्वारा किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। एक किसान न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर और अधिकतम 4.0 हेक्टेयर तक लहसुन की खेती पर योजना का लाभ ले सकता है। बीज की कीमत 370 से 390 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रखी गई है।
पात्रता पहले आओ,पहले पाओ की है
किसान इस योजना का लाभ प्रथम आवक-प्रथम पावक के आधार पर प्राप्त कर सकते हैं। इच्छुक किसानों को अपने जनपद के जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में संपर्क करना होगा। इसके साथ ही, किसान योजना में पंजीकरण करने के लिए विभाग की आधिकारिक वेबसाइट http://dbt.uphorticulture.in पर भी ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं।
मसाला क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के तहत 45 जिलों का चयन
परंपरागत रूप में उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती मध्य प्रदेश और राजस्थान से लगे कुछ जिलों में होती है। सरकार ने इसे विस्तार देते हुए 45 जिलों को खेती के लिए चुना है। इन जिलों में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलन्दशहर, गाजियाबाद, बरेली, मुरादाबाद, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, हाथरस, कानपुर, इटावा, कन्नौज, लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, रायबरेली, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलिया, कुशीनगर, महराजगंज, बांदा, हमीरपुर, जालौन, चित्रकूट, महोबा, ललितपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, गोरखपुर, झांसी, अयोध्या एवं फर्रूखाबाद शामिल हैं।
इस योजना में आने वाले खर्च का 60 फीसद केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर के लास्ट से नवंबर तक लहसुन की बुआई की जाती है। बुआई के करीब दो से तीन हफ्ते में इसकी पत्तियां इस्तेमाल योग्य हो जाती है। अगले दो तीनमहीने तक मन करे तो इन पत्तियों का चटनी बनाएं या तड़के के लिए इस्तेमाल करें। फसल परिपक्व होने पर इसके बल्ब का कायदे से भंडारण कर साल भर इसका उपयोग कर सकते हैं। इसका आचार और पेस्ट भी बनाया जा रहा सकता है।
लहसुन के औषधीय गुण
अपने एंटीबैक्टीरियल और एंटीफ़ंगल गुणों के कारण यह कई तरह के संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। एंटीऑक्सीडेंट होने के नाते यह शरीर में ऑक्सीडेटिव क्षति को रोकने में भी मददगार है। इसी खूबी के नाते इसके प्रयोग से डेमेंशिया और अल्ज़ाइमर की संभावना कम हो जाती हैं।
लहसुन में विटामिन सी, विटामिन बी6, मैंगनीज़, और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसमें मौजूद सल्फ़र कम्पाउंड ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करते हैं और हृदय रोगों के खतरे को कम करते हैं। बालों को स्वास्थ्य में भी सल्फर की अहम भूमिका होती है। एंटी-इंफ़्लेमेटरी होने के नाते यह जोड़ों के सूजन और दर्द में राहत देता है।
लहसुन के निर्यात में भारत दुनियां में दूसरा नंबर
लहसुन की खेती की संभावनाओं के मद्देनजर किसानों में इसकी खेती के प्रति रुचि है। पिछले 25 वर्षों में इसके उत्पादन में करीब चार गुना (2.1 लाख टन से68.34 लाख टन) वृद्धि इसका प्रमाण है।
भारत, लहसुन का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है। मुख्य रूप से इंडोनेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, वियतनाम, मलेशिया, और ब्राज़ील आदि देशों को भारत लहसुन निर्यात करता है। साल 2023-2024 में भारत ने 56,823 मीट्रिक टन लहसुन का निर्यात किया था, जिसका मूल्य 27.96 बिलियन डॉलर था।
यह पहली बार था जब भारत ने लहसुन का निर्यात 50,000 टन के आंकड़े को पार किया।
-
प्रादेशिक3 days ago
कक्षा 12 के छात्रों ने शिक्षिका की कुर्सी के नीचे लगाया बम, कर दिया विस्फोट
-
छत्तीसगढ़3 days ago
CRPF 241 बस्तियां बटालियन पहुंचे सीएम विष्णु देव साय, जवानों को भोजन परोसा, बढ़ाया हौसला
-
उत्तराखंड2 days ago
उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख
-
उत्तराखंड2 days ago
जगद्गुरु रामभद्राचार्य अस्पताल में भर्ती, सांस लेने में तकलीफ
-
झारखण्ड3 days ago
भाजपा सिर्फ जाति-धर्म के नाम पर उन्माद फैलाने की कोशिश करती है : हेमंत सोरेन
-
उत्तराखंड3 days ago
वायु सेना ने उत्तराखंड सरकार को भेजा 213 करोड़ का बिल, आपदा के दौरान की थी सहायता
-
उत्तर प्रदेश3 days ago
महाकुंभ 2025 विशेष : महाकुंभ में संगम की कलकल के साथ ही मन मोह लेगी 90 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षियों की कलरव
-
उत्तर प्रदेश3 days ago
एनडीए सरकार बनने पर घुसपैठियों को लात मारकर निकालेंगेः योगी