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उत्तराखंड

उत्तराखंड का जवान जम्मू-कश्मीर में शहीद

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लामाचौड़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, कुपवाड़ा, आर्मी स्टेशन,

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हल्द्वानी । लामाचौड़ के गुनीपुर जीवानंद गांव में रहने वाला जवान जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गया। शहादत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया है। पिता केशर सिंह के मुताबिक मंगलवार रात करीब 12 बजे सैन्य अफसरों ने फोन कर भूपाल के शहीद होने की जानकारी दी।

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आर्मी स्टेशन हल्द्वानी व प्रशासन के अफसर सांत्वना देने के लिए शहीद के घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। जवान का पार्थिव शरीर श्रीनगर पहुंचा है। यहां से गुरूवार सुबह तक हल्द्वानी पहुंचने की संभावना है।

मूल रूप से बागेश्वर जिले के लेटी गांव निवासी सेवानिवृत्त फौजी केशर सिंह डियाराकोटी यहां लामाचौड़ के गुनीपुर जीवानंद में परिवार के साथ रहते हैं। वह एक निजी स्कूल में सुरक्षा गार्ड हैं। उनका सबसे बड़ा बेटा भूपाल सिंह डियाराकोटी (24 वर्ष) सेना की 17 ब्रिगेड के सप्लाइ कोर में लांस नायक क्लर्क था।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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