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विक्रमशिला महाविहार का गौरव लौटाने की जरूरत : प्रणब

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भागलपुर (बिहार) | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां सोमवार को कहा कि विक्रमशिला के प्राचीन गौरव को फिर से लौटाने के लिए यहां उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय (हाईस्टैंडर्ड यूनिवर्सिटी) बनाने की जरूरत है। राष्ट्रपति कहलगांव के आंतिचक गांव स्थित प्राचीन विक्रमशिला महाविहार को देखने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस महाविहार को विकसित करने के लिए वह केंद्र सरकार से बात करेंगे।

उन्होंने कहा कि बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय की फिर से स्थापना हो गई है, अब यहां भी उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय बनना चाहिए। प्रणब ने कहा कि विक्रमशिला को देखने की इच्छा उनके मन में काफी दिनों से थी, जो आज पूरी हो गई। राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल में भारत में उच्च शिक्षा के लिए कई शिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई थी, जिनमें तक्षशिला (आज के पाकिस्तान) के अलावा बिहार में नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इन स्थलों पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने बहुत काम किया गया है। उन्होंने कहा, “विक्रमशिला महाविहार वर्तमान में सिर्फ संग्रहालय तक ही सीमित है, इसका विकास नहीं हो सका है। इसे विकसित करने की जरूरत है।” बिहार के दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन सोमवार को राष्ट्रपति ने प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहरों का दौरा किया और उसके विषय में कई जानकारियां प्राप्त कीं।

इसके बाद राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय संग्रहालय को अवलोकन भी किया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी, गोड्डा (झारखंड) के सांसद निशिकांत दूबे, बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन भी उपस्थित थे।विक्रमशिला विश्वविद्यालय को प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से भी बड़ा माना जाता है। इसकी स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने करवाई थी।

कहा जाता है कि विक्रमशिला का पुस्तकालय बहुत समृद्ध था। 12वीं सदी में इस विश्वविद्यालय को भी बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था। इस विक्रमशिला विश्वविद्यालय में आवासीय सुविधा थी, जहां बौद्ध धर्म और दर्शन के अलावा न्याय, तत्वज्ञान, व्याकरण सहित कई विषयों की शिक्षा दी जाती थी। राष्ट्रपति रविवार की शाम वायुसेना के हेलीकॉप्टर से भागलपुर पहुंचे थे। वह एक अप्रैल से पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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