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नेशनल

चुनाव आयोग पर केजरीवाल का वार, भाजपा संग मिलीभगत का लगाया आरोप

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को ‘ईवीएम-छेड़छाड़’ के लिए निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराया। केजरीवाल ने कहा कि निर्वाचन आयोग का एकमात्र लक्ष्य भाजपा को सत्ता में लाना है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने निर्वाचन आयोग के 2006 से पहले निर्मित ईवीएम के दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस्तेमाल किए जाने पर भी सवाल उठाया। केजरीवाल ने कहा कि इन ईवीएम में सुरक्षा संबंधी विशेषताएं नहीं हैं।

केजरीवाल ने मीडिया से कहा कि हालांकि जनरेशन 2 (2006-13 में निर्मित) और जनरेशन 3 ईवीएम (2013 के बाद निर्मित) दिल्ली में उपलब्ध हैं। निर्वाचन आयोग ने 2006 के पहले निर्मित जनरेशन-1 के ईवीएम के लिए आदेश दिए हैं, जिसमें सुरक्षा संबंधी विशेषताएं नहीं हैं। इनका इस्तेमाल दिल्ली नगर निगम चुनाव में किया जाना है।

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि ईवीएम में खराबी की बात कह कर जिसे खारिज किया जा रहा है, वास्तव में यह ईवीएम से छेड़छाड़ का मामला है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दूसरी पार्टियों का भी वोट मिले।

उन्होंने कहा, “कोड को बदल दिया गया है, प्रोग्राम को बदल दिया गया है।” केजरीवाल ने कहा कि राजस्थान के धौलपुर में 18 ऐसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) सामने आई हैं, जिसमें किसी भी बटन को दबाने पर सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट पड़ते हैं। केजरीवाल ने कहा, “एक निर्वाचन क्षेत्र में 18 ईवीएम का मतलब है कि कुल मशीनों में से करीब 10 फीसदी से छेड़छाड़ हुई।”

केजरीवाल ने दूसरी 90 फीसदी मशीनों को लेकर भी संदेह जताया। इससे पहले इसी तरह की घटना मध्य प्रदेश के भिंड में ईवीएम के परीक्षण के दौरान सामने आई थी। इसमें किसी भी बटन को दबाने पर वोट भाजपा के पक्ष में जाता था।

केजरीवाल ने कहा, “निर्वाचन आयोग सभी सबूतों के बावजूद ईवीएम छेड़छाड़ की जांच करने के लिए अभी भी तैयार नहीं है। इससे संदेह पैदा हो रहा है कि कहीं इसी के निर्देश पर तो छेड़छाड़ नहीं किया जा रहा है?” आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग का यह कहना सही नहीं है कि मशीनें खराब थीं। वास्तव में, उनसे छेड़छाड़ की गई थी।

केजरीवाल ने कहा, “यदि उनमें कोई खराबी थी तो कुछ मशीनों को कांग्रेस, कुछ को आप और कुछ को भाजपा को वोट करना चाहिए था। लेकिन क्यों सभी खराब मशीनें सिर्फ भाजपा को वोट कर रही थीं?”
केजरीवाल ने कहा, “इसका मतलब है कि इसमें खराबी नहीं है, बल्कि मशीनों के साफ्टवेयर से छेड़छाड़ की गई है या इन्हें पूरी तरह से बदल दिया गया है।”

केजरीवाल ने कहा कि ऐसे में हर जगह चुनाव कराने की जरूरत ही क्या है, आयोग को हर चुनाव में भाजपा को खुद ही विजेता घोषित कर देना चाहिए। केजरीवाल ने कहा, “अब निर्वाचन आयोग की स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से चुनाव कराने में दिलचस्पी नहीं रही। ऐसा लगता है कि अब उनका एकमात्र उद्देश्य भाजपा को किसी कीमत पर सत्ता में लाना है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए सभी ईवीएम राजस्थान से लाई जा रही हैं, जबकि बड़ी संख्या में ईवीएम दिल्ली में उपलब्ध हैं। केजरीवाल ने कहा, “राजस्थान की सभी ईवीएम में हेरफेर की गई है। यही कारण है कि वे चाहते हैं कि इन मशीनों का चुनाव में इस्तेमाल किया जाए।”

केजरीवाल ने इससे पहले दिल्ली नगर निगम चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मतपत्रों के इस्तेमाल की मांग की थी और कहा था कि ऐसा करने के लिए फिलहाल चुनाव को टालना पड़े, तो इसे टाल दिया जाए।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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