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नेशनल

मानहानि के नए मामले में केजरीवाल को नोटिस

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नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की ओर से दायर 10 करोड़ रुपये के मानहानि मामले में नोटिस जारी किया।

जेटली ने केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी द्वारा अपने खिलाफ ‘धूर्त’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर यह मुकदमा दायर किया है।

संयुक्त पंजीयक पंकज गुप्ता ने केजरीवाल को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तिथि तय की गई है।

केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के दूसरे दीवानी मुकदमे में जेटली ने कहा है कि आपत्तिजनक शब्दों के कारण उन्हें ‘स्थायी नुकसान और बदनामी’ झेलनी पड़ी।

इससे पहले दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) से जुड़े एक मामले में जेटली ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ 2015 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

17 मई को जेटली और वरिष्ठ अधिवक्ता जेठमलानी के बीच अदालत में नोक-झोक हुई थी, जिसमें डीडीसीए मामले पर सवाल-जवाब के दौरान केंद्रीय मंत्री ने जेठमलानी द्वारा उनके खिलाफ ‘धूर्त’ शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

केंद्रीय मंत्री ने अपनी नई याचिका में कहा कि केजरीवाल की तरफ से की गई जिरह में जेठमलानी ने जेटली से कई सवाल पूछे, शब्दों का इस्तेमाल किया, बयान दिए, जो अपमानजनक, दुर्भावनापूर्ण, अप्रिय, अप्रासंगिक और बदनामी वाले थे।

वरिष्ठ अधिवक्ता जेठमलानी ने कहा था, मैं यह बताना चाहता हूं यह व्यक्ति (जेटली) एक धूर्त है।

जेटली की ओर से इस पर कड़ी नाराजगी जताई गई और उन्होंने जेठमलानी से पूछा कि उन्होंने ‘धूर्त’ शब्द का इस्तेमाल अपनी ओर से किया या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए केजरीवाल से निर्देश मिला था।

जेठमलानी ने कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल उन्होंने अपने मुवक्किल के निर्देश पर किया, इसके बाद जेटली ने उन्हें इसकी भारी कीमत चुकाने की धमकी दी।

जेटली ने कहा, मैं प्रतिवादी (केजरीवाल) के खिलाफ आरोप बढ़ाऊंगा। यह व्यक्तिगत दुर्भावना की एक सीमा होती है।

केजरीवाल के अधिकृत वकील ने हालांकि कहा कि जेठमलानी को केजरीवाल की ओर इस शब्द के इस्तेमाल का कोई निर्देश नहीं मिला था।

मानहानि के नए मामले के अनुसार, जेठमलानी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्होंने अपने मुवक्किल (केजरीवाल) के निर्देश पर ‘धूर्त’ शब्द का इस्तेमाल किया।

जेटली द्वारा दायर मामले में कहा गया है, जेठमलानी ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें केजरीवाल के साथ एक बैठक में यह निर्देश मिला था और इस बैठक में ऑन-रिकॉर्ड (अधिकृत) वकील मौजूद नहीं था।

इससे पहले दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) से जुड़े एक मामले में जेटली ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह, राघव चढ्ढा और दीपक वाजपेयी सहित पांच नेताओं के खिलाफ 2015 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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