हेल्थ
गर्भाशय कैंसर किसी भी उम्र में संभव : डॉ. रेणु जैन
नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)| गर्भाशय कैंसर ऐसी बीमारी है जो किसी भी महिला को किसी भी उम्र में हो सकती है।
इस बीमारी की समय पर पहचान हो जाए और सही इलाज हो, तो इससे मुक्ति पाई जा सकती है। यह बात अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस (28 मई) की पूर्व संध्या पर शनिवार को जेपी हॉस्पिटल की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रेणु जैन ने कही। उन्होंने कहा कि यह बीमारी किसी खास उम्र में नहीं होती, बल्कि कभी भी हो सकती है। समय-समय पर जांच कराते रहने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। देखा गया है कि गर्भाशय कैंसर के लक्षणों को महिलाएं अक्सर नजरअंदाज करती रहती हैं।
डॉ. रेणु ने बताया कि जेपी हॉस्पिटल में एक साल की बच्ची इलाज के लिए आई थी। जांच से पता चला कि उसे गर्भाशय कैंसर है। उसका इलाज कर उसकी जान बचाई गई। इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि इस बीमारी का उम्र से कोई लेना-देना नहीं है, जागरूकता में कमी इस बीमारी के गंभीर होने का एक महत्वपूर्ण कारण है।
चिकित्सकीय आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक 70 महिलाओं में से एक को गर्भाशय कैंसर होता है। इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण समय पर बीमारी का पता न चल पाना और जानकारी होने के बाद भी समय पर बीमारी का सही इलाज न हो पाना है।
डॉ. रेणु ने कहा, सबसे अहम बात यह है कि जब तक यह बीमारी गंभीर नहीं हो जाती, तब तक यह पकड़ में नहीं आती।
उन्होंने कहा, प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक महिला को गर्भाशय कैंसर आनुवांशिक रूप से मिलता है। बीआरसीए1 और बीआरसीए2 जीन में इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है। यह ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को भी बढ़ाता है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहा कि अगर किसी महिला के नजदीकी रिश्तेदार को पेट, स्तन या गर्भाशय कैंसर पूर्व में हो चुका है, तो परिवार की अन्य महिला सदस्यों में इस बीमारी के होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। ऐसी अवस्था में महिलाओं को बीमारी के लक्षण सामने आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर जांच करानी चाहिए।
इस बीमारी के लक्षण :
– पेट में सूजन
– श्रोणि या पेट में दर्द
– खाने-पीने में कठिनाई, भूख कम लगना
– तेजी से पेशाब आना या बार-बार पेशाब आना
डॉ. रेणु के मुताबिक, इस लक्षणों के अलावा अत्यधिक थकान, अपच, चिड़चिड़ापन, पेट की खराबी, पीठ के निचले हिस्से और पैरों में दर्द, कब्ज या दस्त, वजन घटना, मासिक धर्म में अनियमितता और सांस की तकलीफ भी गर्भाशय कैंसर के लक्षण हैं। अगर ये लक्षण दो हफ्ते से अधिक समय तक रहें तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
आंकड़े यह भी बताते हैं कि 75 फीसदी महिलाएं बीमारी के बढ़ जाने के बाद ही इसकी जांच कराती हैं और केवल 19 फीसदी महिलाओं को इस बीमारी का पता पहले चल पाता है। जिन महिलाओं को इस बीमारी का पता गंभीर अवस्था हो जाने के बाद लगता है, उनमें से अधिकांश महिलाओं की मौत पांच साल की अवधि के बीच हो जाती है।
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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.
एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.
डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
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