Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

कानून बनाकर घरेलू कामगारों को सुरक्षा दें केंद्र सरकार

Published

on

घरेलू कामगार, कानून, कामगार दिवस, अकुशल घरेलू कामगार

Loading

घरेलू कामगार, कानून, कामगार दिवस, अकुशल घरेलू कामगार

फैजाबाद। अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर असंगठित कामगार अधिकार मंच, उत्तर प्रदेश और अवध पीपुल्स फोरम की ओर से प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन प्रेस कांफ्रेंस हाल, शान-ए-अवध, सिविल लाइन, फैजाबाद में किया गया।

घरेलू कामगार, कानून, कामगार दिवस, अकुशल घरेलू कामगार

निर्माण मजदूर यूनियन के सचिव राम भरोस ने पत्रकारों से कहा कि उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में अंशकालिक, पूर्णकालिक, कुशल-अर्द्धकुशल, अकुशल घरेलू कामगार हैं। इनके काम करने की स्थितियों, सेवा शर्तों, सामाजिक सुरक्षा आदि को लेकर कोई कानून या शासनादेश तक मौजूद
नहीं है।

घरेलू कामगार असंगठित क्षेत्र का निर्माण श्रमिकों के बाद दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा हैं और इसमें 90 फीसदी कामगार महिलाएं और बच्चियां हैं जो समाज के सबसे निचले तबके-अनुसूचित जाति व जनजाति से आती हैं।

हाड़-तोड़ मेहनत करने वाली यह बड़ी आबादी घोर गरीबी, अपमान, उत्पीड़न, उपेक्षा और अनिश्चितता का जीवन जीने को मजबूर है। तमाम सुझावों और दबावों के बावजूद केन्द्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर घरेलू कामगारों के लिए कानून बनाने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकार के सामने ऐसे कानून के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले दो विधेयक के मसौदे क्रमशः 2008 और 2010 में प्रस्तुत किए गए पर सरकार ने उन पर कोई निर्णय नहीं लिया।

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों की ओर से घरेलू कामगारों के हित में कानून बनाने के दिशा-निर्देश हेतु जो मसौदा राष्ट्रीय नीति तैयार की, उसे भी अन्तिम रूप नहीं दिया जा सका। यही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 100वें सम्मेलन में साल 2013 में घरेलू कामगारों से सम्बन्धित जो कन्वेंशन पारित हुआ, उसकी भी भारत सरकार ने अभी तक पुष्टि नहीं की है।

महिला सेना की संयोजक भारती सिंह ने कहा कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा जैसे कुछ राज्यों के जैसे शासनादेश/नोटिफिकेशन जारी करके घरेलू कामगारों को न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के तहत शामिल किया है।

अक्टूबर 2016 में असंगठित क्षेत्र कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम की नियमावली भी बना ली है जिसमें घरेलू कामगारों को शामिल किया गया है ये दोनों कदम सराहनीय हैं परन्तु इनसे घरेलू कामगारों को अतिसीमित और अपर्याप्त अधिकार ही मिलेंगे।

हम राज्य सरकार से माँग करते हैं कि वह उत्तर प्रदेश के घरेलू कामगारों के हित में अविलम्ब एक कानून बनाकर उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा कानूनी तौर पर प्रदान करें और पूरे देश के राज्यों के सामने एक नज़ीर पेश करें।

सावित्री बाई फुले सिलाई एवं कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र के सचिव शिव सामंत मौर्या ने कहा कि यह बात गौर करने लायक है कि घरेलू कामगारों में 95 प्रतिशत से भी अधिक आबादी महिलाओं की है और वे स्त्री होने के नाते भी कई तरह के उत्पीड़न, सामाजिक-आर्थिक पराधीनता व सामाजिक असुरक्षा की शिकार हैं। ऐसे में घरेलू कामगारों के हित में कानून निर्माण महिला सशक्तीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।

उत्तर प्रदेश

सीएम योगी ने की गोसेवा, भवानी और भोलू को खूब दुलारा

Published

on

Loading

गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान गोसेवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। इसी क्रम में शनिवार सुबह भी उन्होंने मंदिर की गोशाला में समय बिताया और गोसेवा की। मुख्यमंत्री ने गोवंश को गुड़ खिलाया और गोशाला के कार्यकर्ताओं को देखभाल के लिए जरूरी निर्देश दिए। गोसेवा के दौरान उन्होंने सितंबर माह में आंध्र प्रदेश के येलेश्वरम स्थित गोशाला से गोरखनाथ मंदिर लाए गए नादिपथि मिनिएचर नस्ल (पुंगनूर नस्ल की नवोन्नत ब्रीड) के दो गोवंश भवानी और भोलू को खूब दुलारा।

दक्षिण भारत से लाए गए गोवंश की इस जोड़ी (एक बछिया और एक बछड़ा) का नामकरण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही किया था। उन्होंने बछिया का नाम भवानी रखा है तो बछड़े का नाम भोलू। मुख्यमंत्री जब भी गोरखनाथ मंदिर प्रवास पर होते हैं, भवानी और भोलू का हाल जरूर जानते हैं। सीएम योगी के दुलार और स्नेह से भवानी और भोलू भी उनसे पूरी तरह अपनत्व भाव से जुड़ गए हैं। शनिवार को गोशाला में सभी गोवंश की सेवा करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने भवानी और भोलू के साथ अतिरिक्त वक्त बिताया। उन्हें खूब दुलार कर, उनसे बातें कर, गुड़ और चारा खिलाया। सीएम योगी के स्नेह से ये गोवंश भाव विह्वल दिख रहे थे।

Continue Reading

Trending