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बिजनेस

एसबीआई ने एनईएफटी, आरटीजीएस शुल्क 75 फीसदी तक घटाया

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नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)| देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) और रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस) लेनदेन के शुल्क में 75 फीसदी तक कटौती की है, जो 15 जुलाई से लागू होगी।

बैंक द्वारा गुरुवार को जारी बयान में कहा गया कि शुल्क में की गई यह कटौती बैंक की इंटरनेट बैंकिंग (आईएनबी) और मोबाइल बैंकिंग (एमबी) सेवा द्वारा किए गए लेनदेन पर लागू होगी।

एसबीआई के प्रबंध निदेशक (एनबीजी) रजनीश कुमार ने कहा, यह हमारी रणनीति और सरकार द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर दिए जाने के अनुरूप है। एनईएफटी और आरटीजीएस लेनदेन पर शुल्क घटाकर हमने इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम उठाया है।

एसबीआई ने हाल ही में आईएमपीएस के जरिए एक हजार रुपये तक के फंड ट्रांसफर पर से शुल्क हटा दिया था।

साल 2017 के 31 मार्च तक एसबीआई के कुल 3.27 करोड़ इंटरनेट बैंकिंग ग्राहक थे और 2 करोड़ मोबाइल बैंकिंग के ग्राहक थे।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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