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उप्र : दुग्ध समितियों में महिलाओं को प्राथमिकता देगी योगी सरकार

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लखनऊ, 18 जुलाई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब नई दुग्ध समितियों में महिलाओं को प्राथमिकता देने जा रही है।

प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को इन समितियों में प्राथमिकता देने का उद्देश्य किसानों की आर्थिक हालत को मजूबत करना है। महिलाएं बचत की प्रवृत्ति रखती हैं, इसलिए जब उनको भुगतान किया जाएगा तो वह कुछ पैसे जरूर बचाएंगी जो उनकी माली हालत को मजबूत करेगा। अब सीधे महिला के खाते में बेचे गए दूध का पैसा भेजने की व्यवस्था की जा रही है।

चौधरी ने बताया, वर्तमान सरकार के कार्यकाल में सूबे में पराग के केंद्रों पर दूध का कलेक्शन 60,000 लीटर प्रतिदिन बढ़ गया है। इसके साथ ही सरकार ने आगामी सितंबर माह तक पांच लाख लीटर और दिसंबर तक 10 लाख लीटर प्रतिदिन दूध के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने कन्नौज की एक लाख लीटर क्षमता वाली डेयरी को सितंबर माह तक तथा कानपुर की पांच लाख लीटर क्षमता वाली डेयरी को दिसंबर माह तक शुरू करने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा, इसके साथ ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कन्नौज की डेयरी को गाय के दूध की डेयरी के तौर पर ही विकसित किया जाएगा। इसके लिए वहां पर मशीनें भी उसी के हिसाब से लगवाई जाएंगी। सरकार कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, फैजाबाद सहित 10 स्थानों पर कुल 26 लाख लीटर की क्षमता वाले प्रोजेक्ट ला रही है। इसके साथ ही चार पुरानी डेयरियों का तकनीकी उन्नयन किया जा रहा है। यह सभी 14 प्रोजेक्ट मार्च, 2018 तक आरंभ हो जाएंगे।

मंत्री ने कहा, दुग्ध समितियों के जरिए अभी तक किसान को भुगतान में देरी होती थी, लेकिन अब किसान को एक हफ्ते के अंदर ही सीधे उसके खाते में भुगतान करने की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही किसान से अब जैसे ही दूध लिया जाएगा, तुरंत ही अब उसके मोबाइल पर उससे खरीदे गए दूध की मात्रा तथा उसके मूल्य का संदेश भी चला जाएगा, जिससे कि उसके साथ गड़बड़ी न की जा सके।

उन्होंने कहा कि सूबे में अभी हर क्षेत्र में दूध की खरीद और बिक्री का भाव अलग-अलग है पर अब आने वाले अगस्त माह से पूरे प्रदेश में पराग की बिक्री और खरीद का भाव एक ही होगा।

चौधरी ने बताया, गाय के दूध की गुणवत्ता बच्चे के लिए मां के दूध की तरह ही होती है। साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में गाय के दूध और घी का ही प्रयोग किया जाता है। गाय की उपयोगिता केवल दूध के लिए ही नहीं है, बल्कि गौ मूत्र कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के उपचार में लाभदायक होता है।

उन्होंने बताया कि सरकार एक ऐसा पोर्टल भी विकसित करा रही है, जिस पर हर रोज किसानों से खरीदे जाने वाले दूध की जानकारी भी उपलब्ध हुआ करेगी।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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