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मनोरंजन

मौलिक फैशन डिजाइनों की नकल से निपटने में कॉपीराइट कितना कारगर?

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नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)| दिग्गज डिजाइनर रोहित बल के परिधान में नए पेश हुए कॉक मोटिफ सहित उनके परिधान संग्रह हाल ही में यहां आयोजित हुए इंडिया कूट्योर वीक में चर्चा का विषय बने रहे, क्योंकि इनका कॉपीराइट कराया गया था, लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कदम डिजाइनों की चोरी या नकल से निपटने का अच्छा तरीका है?

‘बंदगला बैरन’ के रूप में मशहूर राघवेंद्र राठौड़ ने शो के दौरान रोहित बाल के लिए रैंप वॉक किया।

राठौड़ ने आईएएनएस को बताया, डिजाइनों की चोरी मामले में जागरूकता लाने की उनकी पहल उद्योग का काफी भला करेगी। खासतौर पर यह डिजाइनरों की युवा पीढ़ी के लिए बेहद फायदेमंद होगी।

उन्होंने कहा, हर डिजाइन और हर सीजन के लिए कॉपी राइट की प्रक्रिया और लागत झेलना आसान नहीं है, लेकिन प्रमुख डिजाइनों की सुरक्षा निश्चित तौर पर जरूरी है। भारत में डिजाइनों की नकल या चोरी पश्चिम से अलग है, क्योंकि पश्चिम में इसका मकसद अलग होता है, प्रतिष्ठित ब्रांड का लोगो लगाकर नकली उत्पाद बेचे जाते हैं, जबकि भारत में मोटिफ और सिलुएट्स की नकल की जाती है।

राठौड़ ने अपने ब्रांड के बारे में कहा कि पिछले दशक में उन्होंने अपने ‘क्लासिक बंदगला’ के डिजाइनों का पेटेंट कराया है, जो राघवेंद्र राठौड़ ब्रांड के पर्याय बन चुके हैं।

संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक फिल्म ‘पद्मावती’ के लिए लिबास डिजाइन करने लिए अनुबंधित की गईं डिजाइनर रिंपल और हरप्रीत नरूला भी अपने काम को सुरक्षित करने पर विचार कर रही हैं।

उन्होंने कहा, डिजिटल दुनिया में किसी के लिए भी डिजाइन उठाकर उसकी नकल कर लेना बेहद आसान है। इसलिए अपने काम को सुरक्षित रखने में समझदारी है।

‘रॉ मैंगो’ ब्रांड के डिजाइनर व संस्थापक संजय गर्ग का कहना है कि पेंटेट हालांकि इस समस्या का पूरा इलाज नहीं है।

दिग्गज डिजाइनर तरुण तहिलयानी का कहना है कि दुर्भाग्य से भारत में बौद्धिक संपदा के अधिकार का कोई मूल्य नहीं है।

तहिलयानी ने कहा कि उन्होंने उनके डिजाइन की नकल करने के खिलाफ एक बार कानूनी कदम उठाया था। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारी न्यायायिक व्यवस्था में अदालत जाना वास्तव में कोई विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह मामला तब तक जारी रहा, जब तक कि मेरे प्रिंट की नकल करने वाले की मौत नहीं हो गई।

वकील साईंकृष्णना राजागोपाल का कहना है कि डिजाइन की नकल के लिए कोई भी आपराधिक कार्यवाही नहीं है, इसलिए इस मामले में जेल की सजा नहीं होगी।

राजगोपाल ने कहा कि डिजाइनों का रजिस्ट्रेशन कराने से आप दूसरों को नकल करने से रोकने की स्थिति में होते हैं। इससे डिजाइनरों को निश्चित तौर पर लाभ होगा।

क्या कॉपीराइट से ग्राहक को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, नहीं, ग्राहकों को इस मामले में कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।

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उत्तर प्रदेश

योगी को यूपी का साथ, 9 में जीतीं सीटें सात

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लखनऊ |  योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश की जनता ने एक बार फिर बता दिया कि उन्हें योगी आदित्यनाथ का ही साथ पसंद है। प्रदेश में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में सात पर एनडीए ने जीत दर्ज की। इसमें से छह पर भारतीय जनता पार्टी और एक सीट पर एनडीए गठबंधन (रालोद) ने जीत हासिल की। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के हिस्से की कुंदरकी व कटेहरी सीट भी जीत ली। इन दोनों सीटों पर नया इतिहास लिखा गया।

पांच दिन में योगी आदित्यनाथ ने किए थे 15 चुनावी कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनता पार्टी व रालोद प्रत्याशी के पक्ष में पांच दिन में 15 चुनावी कार्यक्रम किए। सीएम योगी ने फूलपुर, मझवा, खैर व कटेहरी में दो-दो रैली की। गाजियाबाद में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक रैली व एक रोड शो कर कमल को फिर से खिलाने की अपील की, जिस पर जनता ने मुहर लगाया। वहीं कुंदरकी व मीरापुर में भी सीएम की रैली हुई। इसका असर यह हुआ कि कुंदरकी में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।

कटेहरी में तीन दशक बाद कमल का कमाल, 34514 वोट से दर्ज की जीत

कटेहरी में लगभग तीन दशक से अधिक समय से इस सीट पर भाजपा को जीत नहीं मिल पा रही थी, लेकिन इस बार उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कटेहरी में भी कमल ने कमाल कर दिखाया। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी धर्मराज निषाद ने तीन दशक बाद यहां कमल खिलाया। धर्मराज निषाद ने न सिर्फ सपा से यह सीट छीनी, बल्कि सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा को 34514 के बड़े अंतर से हराया।

कुंदरकी में भी खिला कमल, योगी को मिला जनता का साथ

2022 विधानसभा चुनाव में कुंदरकी में समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर भी विधायक के सांसद चुने जाने के कारण यहां उपचुनाव हुआ। इस सीट पर भी काफी समय से समाजवादी पार्टी का कब्जा था, लेकिन 2024 में हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह सीट भाजपा के खाते में गई। योगी के आह्वान पर जनता ने यहां से सपा को चारों खाने चित कर दिया। यहां के भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह ठाकुर ने सपा के मो. रिजवान को काफी बड़े अंतर से पराजित किया।

मझवा, फूलपुर, गाजियाबाद, खैर व मीरापुर में भी योगी-योगी

मझवा, फूलपुर, गाजियाबाद, खैर के साथ ही मीरापुर में भी रैलियों से चल रही योगी-य़ोगी की गूंज शनिवार को जीत के बाद और तेज होती गई। मीरापुर में रालोद व अन्य सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की। मझवा में विनोद बिंद, फूलपुर से प्रवीण पटेल, गाजियाबाद से अतुल गर्ग, खैर से अनूप प्रधान वाल्मीकि व मीरापुर से चंदन चौहान के सांसद चुने जाने के उपरांत यहां उपचुनाव कराए गए। इन सीटों को बरकरार रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अन्य सीटों पर जीत हासिल की।

सपा के घर करहल के साथ सीसामऊ में जीत का अंतर भी हुआ कम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत का ही प्रतिफल है कि समाजवादी पार्टी के घर करहल में भी सपा की जीत का अंतर काफी कम हुआ। 2022 आमचुनाव में सपा प्रत्याशी अखिलेश यादव ने यहां 67504 वोटों से जीत हासिल की थी, जो 2024 उपचुनाव में घटकर महज 14725 वोट पहुंच गई। तेज प्रताप यादव को यहां से 104304 वोट मिले। भाजपा के अनुजेश यादव ने 89579 वोट प्राप्त किया। वहीं सीसामऊ में 2022 में सपा के इरफान सोलंकी ने 12266 वोटों से जीत हासिल की। उपचुनाव में सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने 69714 वोट पाकर 8564 वोट से जीत दर्ज की। यहां से भाजपा के सुरेश अवस्थी को 61150 वोट मिले।

सात सीटों पर जीत व अंतर

कुंदरकी- रामवीर सिंह ठाकुर
गाजियाबाद- संजीव शर्मा- 96946 (69351 से जीत)
फूलपुर- दीपक पटेल- 78289 (11305 से जीत)
मझवां- सुचिस्मिता मौर्या- 77737 (4922 से जीत)
कटेहरी- धर्मराज निषाद- 104091 (34514 से जीत)
खैर- सुरेंद्र दिलेर – 100181 (38393 से जीत)
मीरापुर- मिथिलेश पाल (रालोद)- 84304 (30796 से जीत

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