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आम महिला ने एयरटेल से जीता मुकदमा, हर्जाने की रकम सुनकर हंसेगे आप

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कैसे जीता आम महिला ने एयरटेल के खिलाफ केस

अहमदाबाद। साल 2015 में पाटीदार आंदोलन के वक़्त देशभर में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी थी तब थलतेज़ निवासी अंजना ब्रह्मतेज ने 5 अगस्त 2015 को 178 रुपये में 28 दिनों की वैलिडिटी के साथ 2GB का डेटा पैक लिया था।

अंजना ने एयरटेल से आठ दिन के लिए सर्विस एक्सटेंड करने या 44.50 रुपये रिफंड करने का आग्रह किया। लेकिन, कंपनी इसे रिफंड करने के लिए राजी नहीं हुई। इसके बाद अंजना उपभोक्ता विवाद समाधान फोरम चली गईं।

ऑल इंडिया कन्ज्यूमर प्रॉटेक्शन और ऐक्शन कमिटी के प्रेजिडेंट पारीख ने कहा, ‘हमने कई अखबारों में ऐड देकर बताया कि आंदोलन के वक्त इंटरनेट कट के बदले सर्विस विस्तार या पैसे वापस नहीं किए जाने की सूरत में हम मुफ्त में मुकदमा लड़ेंगे। अंजना को इसका पता चला और वह हमारे पास आईं।’

दूसरी तरफ कोर्ट में एयरटेल का पक्ष रखते हुए वकील नेहा परमार ने कहा की ऐक्ट 7(बी) के मुताबिक उपभोक्ता अदालत को मकुदमे की सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। उनका तर्क था कि केस आर्बिट्रेशन ऐक्ट के तहत फाइल होना चाहिए जो फोरम में नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि एयरटेल एक कॉर्पोरेट बॉडी है और उसने कमी, लापरवाही या गलत व्यापारिक तिकड़म के तहत सर्विसेज नहीं रोकी, बल्कि उसने सरकार का आदेश माना। लेकिन कोर्ट ने कहा यह कंज्यूमर के अधिकार क्षेत्र में आता है और आंशिक रूप से शिकायत करने का मौका दे दिया

अंजना ने मानसिक प्रताड़ना के लिए 10,000 रुपये और कानूनी खर्च के लिए 5,000 रुपये का दावा किया। इसके लिए कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट सर्विस सार्वजनिक कारण से रोकी गई थी।

यह कंपनी के नियंत्रण में नहीं थी। इसलिए, मानसिक प्रताड़ना और कानूनी खर्च का मुआवजा नहीं दिया जा सकता। हालांकि, उसने कंपनी को 44.50 रुपये पर 12% ब्याज के साथ 55.18 रुपये देने का आदेश दे दिया।

पारीख ने कहा कि इससे कई लोगों को नुकसान हुआ होगा तो वहीँ कंपनी को करोड़ों का फायदा।

इसीलिए हम गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी संपर्क करेंगे और उन्हें स्वतः संज्ञान लेने को कहेंगे क्योंकि इसमें कई कंपनियां संलिप्त हैं।’ मामले पर एयरटेल ने कोई कॉमेंट करने से इनकार कर दिया।

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पकिस्तान के वो काले कानून जो आप जानकर हो जाएंगे हैरान

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नई दिल्ली। दुनिया के हर देश में कई अजीबोगरीब कानून होते हैं जो लोगों को हैरान करते हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी कई अजीबोगरीब कानून हैं। इस मामले में पड़ोसी देश पहले नंबर पर है। ऐसे कानूनों की वजह से पाकिस्तान की दुनियाभर में आलोचना भी होती है। अभी कुछ महीने पहले ही एक कानून को लेकर उसकी खूब आलोचना हुई थी।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक अजीबोगरीब विधेयक का प्रस्ताव पेश किया गया था। यह विधेयक पड़ोसी देश के साथ ही दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया था। इस बिल में कहा गया था कि 18 साल की उम्र होने पर लोगों की शादी को अनिवार्य कर देना चाहिए। इसके अलावा इस कानून को नहीं मानने वालों को सजा का भी प्रावधान है। पाकिस्तानी राजनेताओं का इसके पीछे तर्क है कि इससे सामाजिक बुराइयों और बच्चों से बलात्कार को रोकने में मदद मिलेगी। आईए जानते हैं पाकिस्तान के कुछ ऐसे ही अजीबोगरीब कानून के बारे में।

बिना इजाजत नहीं छू सकते हैं फोन

पाकिस्तान में बिना इजाजत किसी का फोन छूना गैरकानूनी माना जाता है। अगर कोई गलती से भी किसी दूसरे का फोन छूता है, तो उसे सजा का प्रावधान है। ऐसा करने वाले शख्स को 6 महीने जेल की सजा हो सकती है।

अंग्रेजी अनुवाद है गैरकानूनी

 

पाकिस्तान में आप कुछ शब्दों का अंग्रेजी अनुवाद नहीं कर सकते हैं। इन शब्दों का इंग्लिश ट्रांसलेशन करना गैरकानूनी माना जाता है। यह शब्द हैं अल्लाह, मस्जिद, रसूल या नबी। अगर कोई इनका अंग्रेजी अनुवाद करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होती है।

पढ़ाई की फीस पर लगता है टैक्स

 

पाकिस्तान में पढ़ाई करने पर टैक्स देना पड़ता है। अगर कोई छात्र पढ़ाई पर 2 लाख से अधिक खर्च करता है, तो उसको पांच प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। शायद इसी डर से पाकिस्तान में लोग कम पढ़ाई करते हैं।

लड़की के साथ रहने पर होती है कार्रवाई

अगर कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे जेल की सजा होती है। यहां पर कोई किसी लड़की के साथ दोस्ती नहीं कर सकता है। पड़ोसी देश में कानून है कि शादी के पहले लड़का और लड़की एक साथ नहीं सकते हैं।

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