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शाह को मप्र में मिलेगा जीत का तोहफा?

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भोपाल, 15 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई से लेकर सरकार तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिवसीय भोपाल दौरे की तैयारियों में जोरशोर से लगी है, वहीं पार्टी के पास शाह को तोहफा देने का भी मौका है, क्योंकि बुधवार (16 अगस्त) को राज्य के 43 नगरीय निकायों के नतीजे भी आने वाले हैं।

इन नतीजों की छाया शाह के प्रवास पर पड़ने की संभावनाओं को कोई नहीं नकार सकता।

ज्ञात हो कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह राज्यों के प्रवास के क्रम में 17 अगस्त की रात को भोपाल पहुंच रहे हैं, वे 18 से 20 अगस्त तक पार्टी के दफ्तर में रुकेंगे और विभिन्न इकाइयों के प्रतिनिधियों के अलावा सांसद, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधियों की बैठक लेकर सीधे संवाद करेंगे।

मध्यप्रदेश उन राज्यों में से है, जहां भाजपा ने विधानसभा के लगातार तीन चुनाव जीते हैं। राज्य में बीते 14 वर्षो से भाजपा की सरकार है, इस अवधि में हुए सभी स्तरों के अधिकांश चुनाव की जीत उसके खाते में गई है। यहां सबसे ज्यादा समय तक गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान भी शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज है। बीते 12 वर्षो से वे मुख्यमंत्री हैं।

राज्य की सियासत में यह पहला मौका होगा, जब किसी दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष तीन दिन तक बगैर चुनावी माहौल के यहां आने जा रहा हो और प्रवास का मकसद सिर्फ संगठन को मजबूत करना, विभागों-प्रकल्पों की समीक्षा और आगामी रणनीति बनाना हो।

दूसरी ओर, उनका यह प्रवास तब हो रहा है, जब एक दिन पहले यानी 16 अगस्त को 43 नगरीय निकायों के नतीजे आने वाले हैं।

वरिष्ठ पत्रकार भारत शर्मा का अभिमत है कि यह तो संयोग है कि नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों के बाद शाह यहां आ रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा की हार होती है तो उन लोगों को एक सुनहरा मौका मिल जाएगा जो शिवराज के खिलाफ दबे स्वर में बोलते रहे हैं और जीत मिलती है तो शिवराज की जय-जय।

उन्होंेने कहा, इसके साथ यह भी समझना होगा कि हार को भाजपा सामान्य घटना और जीत को बड़ी उपलब्धि बताने में पीछे नहीं रहने वाली। यह बात ठीक है कि इन नतीजों का शाह के प्रवास पर असर दिखेगा। संगठन और सरकार पूरे समय बचाव की मुद्रा में रहेगी।

भाजपा के विभाग और प्रकल्पों के राष्ट्रीय प्रभारी अरविंद मेनन का कहना है, आज देश के 18 राज्यों में भाजपा की सरकार है, जैसे-जैसे हमारा दायरा बढ़ रहा है, दूसरे राजनीतिक दलों के लिए किरकिरी बनते जा रहे हैं, इन परिस्थितियों का हमें सामना करना होगा, क्योंकि हम पर उंगली उठाने की कोशिश होगी, षड्यंत्रों पर पैनी नजर रखना होगी। इस दौर में विभागों और प्रकल्पों से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि नगरीय निकाय और उनमें भी अधिकांश अनुसूचित जाति क्षेत्र में हुए चुनाव के नतीजों को बड़े राजनीतिक परिदृश्य में तो नहीं देखा जा सकता, मगर इतना जरूर है कि इन चुनाव की हार उन गड़बड़ियों-घोटालों जैसे प्याज घोटाला, किसानों असंतोष, कर्मचारी नाराजगी पर मुहर लगा देगी। वहीं जीत मिली तो यह साबित हो जाएगा कि राज्य और केंद्र सरकार के हर कदम के साथ यहां का मतदाता है।

अब देखना होगा कि बुधवार को आने वाले नतीजे क्या होते हैं। भाजपा की राज्य इकाई और सरकार शाह को जीत का तोहफा देती है या पार्टी प्रमुख को उसकी कार्यशैली व कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का मौका मिलता है।

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नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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