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नेशनल

नीतीश का जद (यू) राजग में शामिल

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पटना, 19 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) का नीतीश गुट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में औपचारिक रूप से शामिल हो गया। यहां शनिवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित कर औपचारिकता पूरी की गई। मुख्यमंत्री आवास 1, अणे मार्ग पर आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता के.सी. त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार के आवास पर जद (यू) कार्यकारिणी की बैठक हुई, जहां औपचारिक रूप से राजग में शामिल होने का फैसला किया गया।

जद (यू) में किसी टूट से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, नीतीश कुमार को सभी 15 राज्य इकाइयों, बिहार के 71 विधायकों, पार्टी के अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में टूट का प्रश्न ही नहीं है। शरद यादव को कांग्रेस और भ्रष्ट राजद के लोग गुमराह कर रहे हैं, वे ही समानांतर बैठक के लिए उनकी मदद कर रहे हैं।

त्यागी ने कहा कि पार्टी विरोधी कार्यो में शामिल होने के बावजूद इस बैठक में पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का निर्णय नहीं लिया गया है। पार्टी ने इसे नजरअंदाज किया है।

उन्होंने कहा, शरद पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, उनके साथ मिलकर हमलोगों ने वर्षो तक काम किया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी हैं।

हालांकि उन्होंने शरद को चेतावनी भरे लहजे में कहा, अगर 27 अगस्त को वे राजद की रैली में वर्तमान राजनीति के सबसे भ्रष्टाचारी माने जाने वाले लालू प्रसाद के साथ नजर आते हैं, तो वे लक्ष्मण रेखा पार कर जाएंगे। इसके बाद पार्टी कड़ी कार्रवाई करेगी।

पटना में आयोजित इस बैठक में जद (यू) के सभी आमंत्रित सदस्य शामिल हुए।

उधर, नीतीश से नाराज चल रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद शरद यादव ने शनिवार को ही पटना के एस.के. मेमोरियल हॉल में अपने करीबी नेताओं के साथ ‘जनअदालत’ लगाकर शक्ति प्रदर्शन किया। पटना की सड़कों पर शरद समर्थकों की नीतीश समर्थकों से मारपीट हुई।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद जद (यू) और भाजपा का गठबंधन टूट गया था। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी ने नीतीश के डीएनए पर सवाल उठाया था। मोदी ने बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा जिस अंदाज में की थी, उस पर नीतीश ने कहा था, ‘ये तो बिहार की बोली लगा रहे हैं’। बीस महीने बाद नीतीश का जद (यू) जनादेश प्राप्त महागठबंधन से अलग होकर फिर राजग में शामिल हो गया।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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