नेशनल
..और ढह गया डेरा का साम्राज्य
15 वर्षो की लंबी लड़ाई के बाद आखिकार दो साध्वियों को न्याय मिल गया है। विगत काफी दिनों से देश की न्यायपालिका कई ऐतिहासिक फैसले सुना रही है, जिसके बाद देश की जनता का न्यायपालिका के प्रति एक बार फिर भरोसा कायम हुआ है। अब लग रहा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका एक साथ हर प्रकार से भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जंग लड़ रही हैं।
बाबा गुरमीत राम रहीम को अपने पापों की सजा मिल चुकी है। राम रहीम सिंह इंसां जैसे बाबाओं की वजह से आज समाज, राजनीति तथा प्रशासन में नैतिकता का घोर पतन हो रहा है। राम रहीम बाबा नहीं, अपितु एक प्रकार से गुंडों का बाप निकला!
अब एक के बाद एक उसके सारे पाप जनता व मीडिया के सामने आ रहे हैं। बाबा से पीड़ित साध्वियों के साहस को भी प्रणाम करना होगा, जिन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के आगे अपना शीश नहीं झुकाया, जो उनके साथ कुछ भी कर सकता था।
बाबा राम रहीम के घटनाक्रम को गहराई से देखने से मन-मस्तिष्क सिहर उठता है कि आखिर उसने किस ताकत के बल पर अपना इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया। अब जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे प्रतीत हो रहा है कि उसने अपनी समानांतर सत्ता तक खड़ी कर ली थी। बाबा ने समाज में कैसा जादू चलाया कि उसके आगे सभी दलों के नेता नतमस्तक होने लग गए थे।
इन बाबाओं की वजह से हिंदू समाज का भी घोर पतन ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में भारत की बदनामी हो रही है। यह बाबा न तो सरदार थे और न ही हिंदू या मुसलमान। एक प्रकार से इन्होंने तीन बड़े धर्मो का नुकसान किया, जिसमें प्रमुखता से हिंदू धर्म का।
जब से राम रहीम का प्रकरण सुर्खियों में आने लगा, तब से यह सेकुलर मीडिया बार-बार केवल यह बता रहा है कि बाबा राम रहीम को सत्ता का संरक्षण हासिल था। यह बात सही है कि विगत चुनावों में बाबा राम रहीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया था और विधानसभा चुनाव में भी हरियाणा में भाजपा ने बाबा के समर्थन से ही अपनी सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की थी, लेकिन यही मीडिया बड़ी आसानी से यह बात छिपा रहा है कि बाबा राम रहीम ने अपना जो साम्राज्य खड़ा कर लिया है, उसके लिए कुछ हद तक यूपीए सरकार व हरियाणा में कांग्रेस सरकार का कार्यकाल भी कम जिम्मेदार नहीं है।
अभी हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के नेता ने भी डेरा सच्चा सौदा का समर्थन हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।
राजनैतिक विश्लेषकों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए था कि जिस आदमी ने बाबा के भेष में अपना इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया और यहां तक कि समानांतर सत्ता चला रखी थी, क्या उसके खिलाफ ठोस सबूतों के साथ इतनी बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक करना आसान नहीं था। बाबा को केवल यौन उत्पीड़न के नाम पर सजा ही नहीं मिली है, अपितु इस सजा के बहाने उसका एक बहुत बड़ा किला ढह गया है।
यह ढोंगी बाबाओं के खिलाफ, मायाजाल के खिलाफ महाजंग छेड़ी गई है। यह बात सही है कि उच्च न्यायालय के बार-बार आदेशों के बाद भी बाबा के समर्थकों पर समय रहते कार्यवाही नहीं हो सकी और बाबा को अदालत की ओर से दोषी पाए जाने के बाद समर्थकों को वहां पर एकत्र रहने दिया गया। बाबा स्वयं दौ सौ कारों के काफिले के साथ अदालत पहुंचे। बाबा को उम्मीद रही होगी कि न्यायपालिका व पुलिस भी उनकी गुलाम बन चुकी है। लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि अब उनके पापों का घड़ा भर चुका था।
बाबा राम रहीम का प्रादुर्भाव और उसके बाद जिस प्रकार से उसकी गतिविधियां सामने आने लगी थीं तथा उसी प्रकार उसके प्रति शक की सुई भी घूमने लगी थी। लेकिन कानून को पक्के सबूत चाहिए थे। जब सबूत एकत्र हो गए, तब एकदम से कार्रवाई हो गई तथा अब उसके सारे पाप जनता के सामने आ रहे हैं। एक बाबा के रूप में उसकी इतनी शानो शौकत आंखें खोल देने वाली है।
बाबा की लाइफस्टाइल जबर्दस्त रही है, लेकिन अब उसका दिवाला निकल जाएगा। एक प्रकार से अदालत ने हरियाणा राज्य को ‘कलियुगी राक्षस’ से मुक्त कराया है। यह एक ऐसा राक्षस निकला, जो अपनी साध्वियों का दुष्कर्म करता था। पुरुषों को नपुंसक बनाता था। यह एक पत्रकार हत्याकांड में भी शामिल है। यह इतना चालाक व शौकीन है कि इसके पास लग्जरी कारों का काफिला है। दो अरब रुपये की संपत्ति के स्वामी है डेरा प्रमुख। इसी के बल पर वह सब कुछ खरीद लेना चाहता था।
बाबा राम रहीम सत्ता बनवाने में भी अहम भूमिका अदा करने लगा था। इसके लिए डेरा सच्चा सौदा ने अपनी एक राजनैतिक विंग भी बना ली थी। यह बाबा राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक हर प्रकार के अपराध का मसीहा निकला। आज उसके नामचर्चा घरों से हथियार, नशीले पदार्थ मिल रहे हैं। यह भी पता चल रहा है कि बाबा राम रहीम के रिश्ते कुख्यात आतंकी दुरजंट सिंह राजस्थानी से रहे हैं, यह उनका साला है।
आखिर यह इतना खतरनाक बाबा क्यों और कैसे बन गया? इसका विश्लेषण मनोवैज्ञानिकों को भी करना चाहिए कि जब उसके कृत्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई, तब देश की सेना को लगना पड़ गया। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली पूरी तरह से युद्ध के मैदान में तब्दील हो गए थे। सिरसा में डेरा मुख्यालय को खाली कराने के लिए सेना लगाई गई तथा सेना ने ही उसका लाइव प्रसारण करवाया। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि एक बाबा की वजह से देश में गृहयुद्ध के हालात पैदा हो गए।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को शांति की अपील करनी पड़ी। रेलवे, इंटरनेट सेवाएं बंद हो गईं। यह किसी अराजकता से कम वातावरण नहीं था। उस समय खट्टर सरकार ने काफी धैर्य से काम लिया, नहीं तो जिस प्रकार के हालात बन रहे थे, उससे हिंसा और नुकसान और कहीं अधिक हो सकता था।
अब यह बात तो तय हो गई है कि बाबा राम रहीम आसानी से तो नहीं छूटने जा रहे हैं और न ही अभी भाजपा का हाईकमान हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर का इस्तीफा लेने जा रहा है। अब बस मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हर हालत में हरियाणा की स्थिति को तेजी से सामान्य स्थिति में लाना होगा, ताकि जनता आने वाले चुनावों तक इस हादसे को भूल जाए।
आज सोशल मीडिया में बाबा राम रहीम को सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह की प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे हैं। बीजू जनता दल के सांसद बैजयंत पांडा ने लिखा कि पश्चाताप अच्छी बात है। इसके लिए दस साल की सजा ठीक है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एच.एस. फुल्का लिखते हैं कि भारत को और मजबूत लोकतंत्र बनाने के लिए हमें जगदीप सिंह जैसे न्यायाधीशों की जरूरत है।
निश्चय ही बाबा राम रहीम का प्रकरण पूरे देश, समाज व सिस्टम की आंखें खोल देने वाला प्रकरण है। पता नहीं कैसे, देश की भोली-भाली जनता इन राक्षसों के चंगुल में फंसती चली जाती है। इस प्रकरण के बाद अब जनता को भी बाबाओं के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। बाबा का पूरा नाम था गुरमीत राम रहीम, लेकिन वह निकला रेपिस्ट, भू-माफिया और बेनामी संपत्ति का मालिक। अवैध कारनामे का इंजीनियर था बाबा राम रहीम।
भारत के गरीबों का दिल दुखाया है इस बाबा राम रहीम ने। यही नहीं, बाबा ने अपनी मुद्रा चला रखी थी। कितना शातिर था यह बाबा! प्रेम, सत्य, शांति, अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाला बाबा व उसके समर्थकों ने इंसां के नाम पर हिंसा का जहर बो दिया और पूरे देश को गृहयुद्ध व अराजकता की आग में धकेलने का असफल प्रयास किया, लेकिन अब बाबा का साम्राज्य ढह चुका है। डेरों को चारों ओर से घेर लिया गया है।
विगत दिनों पंजाब, हरियाण व रेलवे सहित अन्य संपत्तियों को जितना नुकसान हुआ है, वह डेरा समर्थकों की संपत्ति से ही उसकी भरपाई की जाएगी तथा जितने लोग हिंसा आदि में पकड़े जा रहे हैं, उनके खिलाफ भी कठोर से कठोरतम कार्यवाही अब होने जा रही है।
न्यू इंडिया में ऐसे ढोंगी बाबाओं की कोई जगह नहीं हो सकती, जिनके कारण अराजकता का नंगा नाच हो। उन साध्वियों के साहस को भी सलाम करना चाहिए, जो ऐसे अपराधी तत्वों के समाने नहीं डरीं, जिनके पास हर प्रकार की ताकत हो। (आईएएनएस/आईपीएन)
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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