आध्यात्म
मुंबई में गणपति विसर्जन के गवाह बने 300 विदेशी पर्यटक
मुंबई, 6 सितम्बर (आईएएनएस)| दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए 300 से ज्यादा पर्यटकों ने ‘महागणेश उत्सव-2017’ के समापन पर्व गणपति विसर्जन का बुधवार तड़के तक मुंबई के गिरगाम चौपाटी में भव्य नजारा देखा। राज्य के सबसे बड़े उत्सव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर ‘महागणेश उत्सव-2017’ का आयोजन किया था। यह उत्सव राज्य में पिछले 125 वर्षो से धूमधाम से मनाया जा रहा है।
बारह दिवसीय गणेशोत्सव की समाप्ति के बाद विहंगम विसर्जन का दृश्य देखने के लिए बृह्न्मुंबई नगर निगम के सहयोग से लगभग 100 विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष मंच की व्यवस्था की गई थी।
विशेष मंडप में विसर्जन का गवाह बनने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल, पर्यटन राज्य मंत्री मदन येरावर, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम(एमटीडीसी) के प्रबंध निदेशक विजय वाघमारे, संयुक्त प्रबंध निदेशक आशुतोष राठौर अन्य शीर्ष अधिकारी और विभिन्न देशों के राजनयिक मौजूद थे।
विसर्जन देखने वालों में अमेरिका, यूरोप, जापान, थाईलैंड एवं अन्य देशों के पर्यटक शामिल थे। इन लोगों ने लालबाग-चा राजा, फोर्ट-चा राजा एवं सायन-चा राजा के विहंगम विदाई एवं विसर्जन को देखा।
एमटीडीसी के एक प्रवक्ता ने कहा, इस बार गणेशोत्सव की सबसे बड़ी खासियत थाईलैंड के 55 पर्यटकों द्वारा होटल ट्राइडेंट में स्थित अपने कमरे में 12 दिनों तक गणपति बप्पा की पूजा करना था।
इन लोगों ने मंच पर मौजूद गणमान्य लोगों की मौजूदगी में गिरगाम चौपाटी में अपने छोटे गणपति का विसर्जन बड़े ही धूमधाम से किया। इस दौरान सभी ‘गणपति बप्पा मोरया के नारे लगाकर खुशी से झूम रहे थे।’
पर्यटन मंत्री रावल ने कहा, यह हमारा सौभाग्य है कि हमें मूर्ति विसर्जन समारोह आयोजित करने और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग मंच प्रदान करने का मौका मिला।
मुंबई में 200,000 से ज्यादा संगठन और समूह हैं, जो हर वर्ष गणेशोत्सव का आयोजन करते हैं, जबकि 50,000 से ज्यादा ऐसे संगठन हैं, जो अमेरिका, यूरोप, उत्तर अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में यह उत्सव मनाते हैं।
आध्यात्म
पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ
पटना| सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।
चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।
भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।
इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।
इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।
वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।
इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।
इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।
लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।
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