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ऑफ़बीट

OMG! तो इस वजह से नहीं होती लडकियों की शर्ट में पॉकेट

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टी-शर्ट हो या शर्ट लडकियां इन दोनों ही ड्रेसिंग-फॉर्म में बेहद स्मार्ट नजर आती है। अक्सर किसी फॉर्मल इवेंट या फिर कॉलेज में लडकियां शर्ट पहनना ज्यादा कम्फर्ट समझती है और ऐसा होता भी है। क्यूंकि शर्ट से उन्हे एक स्लिम ऑउटफिट मिलता है।

पर क्या कभी आपने गौर किया है कि आखिर लड़कियों की इन शर्ट्स-टी-शर्ट्स में पॉकेट क्यों नहीं होती? या फिर अगर होती भी है तो वो इन पॉकेट्स में कोई सामान क्यों नहीं रखती?

आइये बताते है आपको इस राज के पीछे की वजह-

हालांकि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक नहीं , बल्कि पुरानी परंम्परा और मानसिकता छिपी है। पहले जमाने में महिलाओं के कपड़ों में जेब नहीं होती थी। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि अगर जेब होगी तो उसमें महिलाएं कुछ न कुछ जरूर रखेंगी और उनके बॉडी के प्राईवेट पार्टस आगे की तरफ उभरे हुए दिखाई देंगे। यही वजह है कि लड़कियों की शर्ट में पॉकेट नहीं होती।

भले ही जमाना बदल गया हो, लेकिन ये बात लड़कियां आज भी मानती हैं ऐसा इसलिए क्योंकि पॉकेट ठीक उनके ब्रेस्ट के ऊपर बनी हुई होती है जिस वजह से लड़कियां  उसका इस्तेमाल नहीं करती।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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