नेशनल
नीतीश व मांझी राज्यपाल से मिले, पेश किये अपने-अपने दावे
पटना | बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच लोगों की निगाहें अब राजभवन पर टिकी हुई हैं। सोमवार को जनता दल (युनाइटेड) विधानमंडल दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार तथा बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अलग-अलग समय पर राजभवन पहुंचे और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर अपने-अपने दावे पेश किए। नीतीश अपने सरकारी आवास से 130 विधायकों के साथ पैदल मार्च करते हुए करीब डेढ़ बजे राजभवन पहुंचे। उनके साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद भी थे।
राज्यपाल से मिलकर राजभवन से बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि राज्यपाल से मिलकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनाने का अनुरोध किया गया। नीतीश कुमार ने कहा, राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया गया तथा बहुमत की सरकार जल्द से जल्द गठित करने की अनुमति मांगी गई। उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने पूरी बातें गंभीरता से सुनी और जल्द ही निर्णय लेने की बात कही। राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने बताया कि नीतीश को 130 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें जदयू, राजद, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है।
इसके बाद मुख्यमंत्री मांझी सोमवार को दूसरी बार राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। राज्यपाल से मिलने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि राज्यपाल के समक्ष उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, हम बहुमत साबित करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। उन्होंने बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 19 फरवरी तक का समय मांगा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल वैसे जब कहेंगे तब वे सदन में बहुमत साबित कर देंगे। मांझी ने राज्यपाल से सदन में गुप्त मतदान कराने का अनुरोध किया। इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार पर साजिश रचकर मुख्यमंत्री को पद से हटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। बिहार में जारी सियासी गहमागहमी के बीच राज्यपाल त्रिपाठी सुबह पटना पहुंचकर सीधे राजभवन पहुंचे। इसके बाद 12 बजे मुख्य सूचना आयुक्त को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी पहुंचे।
इधर, बिहार के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने से इनकार कर चुके मांझी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगाते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। मांझी को रविवार को ही पार्टी विधायकों की बैठक में जदयू विधायक दल के नेता पद से बर्खास्त कर दिया गया था। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने विधानमंडल दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार को नेता के रूप में मान्यता अधिसूचित कर दी। जदयू के सचेतक श्रवण कुमार ने बताया कि नई अधिसूचना के साथ ही मांझी जदयू विधानमंडल दल के नेता नहीं रहे।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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