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नेशनल

अर्थव्यवस्था को गलत दिशा में ले जा रही है सरकार : भारतीय मजदूर संघ

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नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| अर्थव्यवस्था को ‘गलत दिशा में ले जाने के लिए’ सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरएसएस से जुड़े श्रम संगठन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘मौजूदा सुधार प्रक्रिया को वापस’ लेने व बिना रोजगार वाली ऐसी वृद्धि पर ‘अतिरिक्त जोर’ दिए जाने को रोकने का आग्रह किया, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने एक बयान में सरकार से ‘अर्थव्यवस्था की गिरावट रोकने के लिए’ श्रम से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की गतिविधियों के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने की मांग की है।

नारायणन ने कहा, मौजूदा सुस्ती (अर्थव्यवस्था की) रोजगार छीनने वाले सुधार और अर्थव्यवस्था को गलत दिशा में ले जाने का नतीजा है और यह सब कुछ पूर्ववती संप्रग सरकार की नीतियों का ही जारी रहना है।

उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे इरादों व प्रयासों को सही विशेषज्ञों की कमी, संचार की कमी, सामाजिक क्षेत्रों से फीडबैक की कमी, गलत सलाहकारों पर निर्भरता और दिशाहीन सुधारों ने विफल कर दिया है।’

उन्होंने बयान में कहा कि सरकार ने बेरोजगारी को कम करने के जिन उपायों पर अतिरिक्त जोर दिया है, उससे बेरोजगारी कम होने की बजाय बढ़ रही है व रोजगार कम हो रहे हैं। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) ने पहले ही हमारे सूक्ष्म व लघु उद्योग व साथ ही खुदरा व्यापार क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया हुआ है। बैंकिंग गतिविधियों सहित सरकार की बहुत सारी वित्तीय गतिविधियां धीमी हो रही हैं।

सरकार से मौजूदा सुधार प्रक्रिया वापस लेने का आग्रह करते हुए नारायणन ने सरकार से रोजगार सृजन करने के लिए भर्ती प्रक्रिया से प्रतिबंध हटाने की मांग की।

उन्होंने कहा, आम आदमी की क्रय शक्ति को मजबूत करना हमारी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने का मुख्य समाधान है। किसी भी प्रोत्साहन पैकेज को निजी व कॉरपोरेट क्षेत्र को नहीं दिया जाना चाहिए। प्रोत्साहन पैकेज सीधे तौर पर तीन सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों-कृषि, लघु उद्योग क्षेत्र (विनिर्माण क्षेत्र सहित) व निर्माण क्षेत्र को मिलना चाहिए।

नारायणन ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई ग्रामीण रोजगार की योजना मनरेगा आज के समय में कई राज्यों में गंभीर संकट में है क्योंकि छह महीने के बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा, सरकार को मनरेगा का कार्य दिवस मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर 200 दिन प्रति वर्ष करना चाहिए व इसे कृषि कार्यो से जोड़ना चाहिए। इसमें अगले कार्य दिवस में मजदूरों के खातों में भुगतान को सीधे तौर पर दिया जाना चाहिए। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संकट को कम करेगा।

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र बदहाल है और इसे अधिक सब्सिडी व कर्जमाफी के जरिए उबारा जाना चाहिए। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में सरकार की जोरदार दखलंदाजी की मांग की और कहा कि इस क्षेत्र में निजी नहीं बल्कि सरकारी निवेश अर्थव्यवस्था को सहारा देगा।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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