नेशनल
अशोक सिंघल की याद में दिए जाएंगे ‘भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार’
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल की याद में संपूर्ण भारत में वैदिक शिक्षा के प्रचार और प्रसार के लिए सिंघल फाउंडेशन द्वारा देश के सभी वैदिक स्कूलों से आई प्रविष्टियों में तीन श्रेणियों में ‘भारतात्मा अशोकजी सिंघल वैदिक एजुकेशन पुरस्कार’ प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार वैदिक शिक्षा देने वाले सर्वश्रेष्ठ स्कूल, वेदज्ञान में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी और वेद पढ़ाने वाले सर्वश्रेष्ठ शिक्षक को दिया जाएगा। सिंघल फाउंडेशन के ट्रस्टी सलिल सिंघल ने कहा, अशोक सिंघल राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रचारक होने के साथ-साथ वेद के भी ज्ञाता थे। उन्हें वेद के पठन-पाठन में विशेष रुचि थी। उनके प्रयास से देश में कई वैदिक स्कूलों की स्थापना भी की गई थी। वेदों के प्रति उनके लगाव को देखते हुए हमने उनकी याद में वैदिक पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी वैदिक स्कूलों से प्रविष्टि मंगाई गई। वैदिक पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाएंगे। पहली श्रेणी वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र, दूसरी उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक और तीसरी श्रेणी वैदिक स्कूल की बनाई गई।
सलिल सिंघल के अनुसार स्कूलों से तीनों श्रेणियों में अपनी-अपनी प्रविष्टि भेजने को कहा गया। 14 अगस्त तक आने वाली प्रविष्टियों पर विचार करने के लिए तीन समितियों का गठन किया गया। इन समितियों ने प्रविष्टि भेजने वाले सभी स्कूलों का दौरा किया। छात्रों और शिक्षकों का साक्षात्कार लिया। फिर अपनी ओर से तीनों श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ तीन-तीन विजेताओं के नाम की सिफारिश की। इन सिफारिशों पर विचार करने का काम पांच वैदिक विशेषज्ञों की जूरी ने किया और अंतत: एक-एक विजेताओं का चयन किया गया।
उन्होंने कहा कि अब यह पुरस्कार हर साल दिया जाएगा ताकि देश में वैदिक शिक्षा को प्रोत्साहन मिल सके।
वैदिक पुरस्कार वितरण समारोह पांच अक्टूबर को श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर में होगा जिसे राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत प्रदान करेंगे। प्रथम पुरस्कार पाने वाले छात्र को तीन लाख रुपये, शिक्षक को पांच लाख रुपये और स्कूल को सात लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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