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प्रादेशिक

उप्र : दिल्ली के नतीजों से डरी भाजपा

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लखनऊ | दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अंदर ही अंदर डरी हुई है। उप्र में भाजपा में रोज ‘बाहरियों’ की एंट्री हो रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद यह सिलसिला रुक सकता है। किसी बाहरी को अब पार्टी में शामिल करने से पूर्व सारे पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने अन्य दलों के लोगों को पार्टी में लेने के अभियान को फिलहाल स्थगित कर दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों को मिशन 2017 के लिए खतरे की घंटी मान ‘शाह फार्मूला’ फेल होने पर अंदरखाने सवाल भी उठाए जा रहे हैं। पार्टी अब नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच बढ़े फासले कम करने के लिए सम्मान और संवाद को तरजीह देगी। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम से सबक लेकर मिशन 2017 की तैयारियों में जुटा जाएगा। पाठक ने कहा, “दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे तो निराशाजनक हैं ही, लेकिन इसका असर उप्र पर पड़ेगा यह कहना सही नहीं है। पार्टी अपने अभियान को लगातार आगे बढ़ाएगी और सदस्यता अभियान पर ध्यान देगी।”

उत्तर प्रदेश भाजपा में वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच बढ़े फासले और बाहरी लोगों को तरजीह देने का प्रतिकूल असर लोकसभा चुनाव के बाद से दिख रहा है। खासकर उप-चुनाव एवं छावनी परिषद निर्वाचन में भाजपा को अपेक्षित परिणाम न मिलने की वजह शीर्ष स्तर पर तालमेल का अभाव भी माना जा रहा है। हाशिए पर चल रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्षों व लगभग दो दर्जन विभाग के संगठन मंत्रियों की पीड़ा है कि भाजपा में वरिष्ठ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच निरंतर संवाद की परंपरा समाप्त हो रही है। लोकसभा चुनाव में बाहरी नेता उतारने का फार्मूला भले ही मोदी लहर में कारगर रहा, लेकिन दिल्ली में नुकसान उठाना पड़ा। उत्तर प्रदेश में कमोबेश ऐसे ही हालात बनते जा रहे हैं। बाहरी नेताओं की आंख मूंदकर पार्टी में शामिल करने से सवाल खड़े हो रहे हैं।

भाजपा के एक विधायक का कहना है कि कुशवाहा प्रकरण का नुकसान झेलने के बाद भी नेतृत्व सबक लेने को तैयार नहीं है। सेवानिवृत्त शीर्ष पुलिस अधिकारी बृजलाल को अब पार्टी का दलित चेहरा बनाकर उतारने की चर्चा भाजपाइयों को बेचैन किए हुए है। अपने सेवाकाल में भाजपा कार्यकर्ताओं से कटु व्यवहार करने वाले अधिकारी को पार्टी में लेना पार्टी कार्यकर्ताओं को बहुत अखर रहा है। दिल्ली चुनाव में प्रदेश के अधिकतर सांसदों के अलावा एक दर्जन नेताओं को भी लगाया गया था। डा़ॅ संजीव बाल्यान, मनोज सिन्हा, रामशंकर कठेरिया, संतोष गंगवार सरीखे कई मंत्रियों को विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी। क्षेत्र व जातिगत गणित के आधार पर नेताओं को भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा गया, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली।

IANS News

छत्तीसगढ़: सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 10 नक्सलियों को किया ढेर, AK-47 और SLR समेत कई हथियार बरामद

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 10 नक्सली ढेर हो गए हैं। मारे गए नकसलियों से AK-47 और SLR समेत कई हथियार बरामद किए गए हैं।

यह मुठभेड़ सुकमा जिले के कोराजुगुड़ा, दंतेवाड़ा, नगरम और भंडारपदर इलाकों में जंगलों में हुई। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने मुठभेड़ की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि जनवरी 2024 से नवंबर 2024 तक कुल 257 नकसलियों को सुरक्षाबलों ने ढेर किया है। 861 नकसलियों को गिरफ्तार किया गया और 789 नकसलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि जिला रिजर्व गार्ड (DRG) टीम और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान नकसलियों के खिलाफ अभियान का हिस्सा थे। सुरक्षा बलों को इलाके में माओवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी। अभी तक बरामद माओवादियों के शवों की पहचान नहीं हो पाई है।

टीमों ने इंसास राइफल, एके-47 राइफल और SLR राइफल सहित कई हथियार बरामद किए हैं। गुरुवार को भी ओडिशा के मलकानगिरी जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में एक माओवादी मारा गया था। ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई गोलीबारी में माओवादी ढेर किया गया था।

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