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नेशनल

मप्र : लोकायुक्त गुप्ता की प्रकरण निराकरण दर राष्ट्रीय औसत से दोगुना रही

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भोपाल, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के नए लोकायुक्त बनाए गए एन.के. गुप्ता की पहचान शीघ्र प्रकरण निराकरण करने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर रही है। गुप्ता की प्रकरण निराकरण की दर राष्ट्रीय स्तर की दर से दोगुना रही है। आधिकारिक तौर पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति गुप्ता ने एमएससी (गणित) एवं एलएलबी (ऑनर्स) की उपाधि इंदौर विश्वविद्यालय से प्राप्त की। एलएलबी़(अनर्स) परीक्षा में विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान अर्जित किया था। न्यायमूर्ति गुप्ता अगस्त 1979 में व्यवहार न्यायाधीन नियुक्त हुए और तीन मई 2010 को मप्र उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।

न्यायमूर्ति गुप्ता ने इससे पहले उच्च न्यायालय में एडिशनल रजिस्ट्रार (सतर्कता), न्यायिक अधिकारी ट्रेनिंग संस्थान के एडिशनल डायरेक्टर विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण), विशेष न्यायाधीश (अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम), अध्यक्ष उपभोक्ता फोरम एवं प्रमुख विधि परामर्शी के पद पर रहे। इसके अतिरिक्त सचिव के रूप में संचालक लोक अभियोजन का अतिरिक्त प्रभार भी रहा।

उन्होंने मप्र उच्च न्यायालय में दिसंबर, 2015 तक जबलपुर मुख्यपीठ एवं जनवरी, 2016 से 30 जून, 2017 तक ग्वालियर खंडपीठ में अपने 7 वर्ष 2 माह के कार्यकाल में करीब 48 हजार 550 मामले अंतिम रूप से निपटाए। इन मामलों में संवैधानिक, सिविल एवं दांडिक मामले शामिल हैं।

न्यायमूर्ति गुप्ता ने अपने कार्यकाल के अंतिम 18 महीनों में 200 से ज्यादा दांडिक अपील का निराकरण किया और भ्रष्टाचार निवारण के कई मामले निपटाए। न्यायालयीन छुट्टी की विशेष सुनवाई के दिनों में 33 दांडिक अपील अंतिम रूप से निपटाई। गुप्ता द्वारा मामलों के निराकरण का वार्षिक औसत 6770 प्रकरण का है, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण के राष्ट्रीय औसत (करीब 2500 मामले प्रति वर्ष) से दोगुने से ज्यादा का है।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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