साइंस
‘नए प्रयोगों के लिए युवाओं में उत्साह जरूरी’
लखनऊ। युवा वर्ग में नए प्रयोगों के लिए उत्साह जगाना जरूरी है। समाज, पर्यावरण, आजीविका के साधनों में बढ़ोतरी के लिए भी एक सोच जरूरी है और इसे विकसित करने की आवश्यकता है। ये बात एसएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ. बीआर सिंह ने कही। मौका था साइंस सिटी और यूपी विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद (यूपीसीएसटी) की ओर से साइंस सिटी में आयोजित चार दिवसीय इनोवेशन वर्कशॉप का। ये वर्कशॉप तोड़-फोड़-जोड़ नाम से आयोजित की गई है। गुरुवार को इस वर्कशॉप का दूसरा दिन था।
वर्कशॉप में डॉ. बीआर सिंह ने कहा कि कई नए प्रयोगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग में नए प्रयोगों के लिए उत्साह जगाना जरूरी है। इसके लिए किसी व्यक्ति को पहले अपने आसपास के वातावरण के बारे में जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को अविष्कारों और वैज्ञानिकों से भी परिचित कराना जरूरी है। ये भी बताया जाए कि उन वैज्ञानिकों को ये आइडिया कैसा आया। उन्हें पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के बारे में बताया जाए। सबसे जरूरी है कि समाज की भलाई के लिए सोच विकसित की जाए।
साइंस सिटी के परियोजना समन्वयक उमेश कुमार ने कहा कि नए प्रयोग ही तरक्की की नई परिभाषा लिख सकते हैं। उन्होंने युवा वर्ग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में की गई नई खोजों का भी जिक्र किया। उन्होंने छात्रों को कई उदाहरणों के माध्यम से नए प्रयोगों के बारे में बताया।
वर्कशॉप में सीएसटी के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ आर.डी. गौर ने मानव सभ्यता के प्रारंभिक दौर में विकसित औजारों की जानकारी दी।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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