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नेशनल

सुनंदा मौत मामला : उच्च न्यायालय ने रद्द की स्वामी की याचिका

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नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर मौत मामले की जांच अदालत की निगरानी में एसआईटी से कराने की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) नेता सुब्रह्ममयन स्वामी की जनहित याचिका(पीआईएल) खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने इसे ‘राजनीतिक हित याचिका’ करार देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत का प्रयोग इस तरह किया जा रहा है।

न्यायाधीश एस.मुरलीधर और न्यायाधीश आई.एस मेहता की खंडपीठ ने कहा कि ‘न्यायालय को राजनीतिक हस्तियों को उनके अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए न्यायिक तंत्र का इस्तेमाल नहीं करने देने के लिए सचेत रहना चाहिए।’

पीठ ने स्वामी की याचिका को खारिज करते हुए कहा, यह जनहित याचिका की आड़ में राजनीतिक हित याचिका का शायद ‘टेक्स्ट बुक’ उदाहरण है।

न्यायालय ने कहा कि यह संतोषजनक नहीं है कि इस याचिका का प्रयोग जनहित याचिका के रूप में किया जाए।

न्यायालय ने कहा कि यह समझना काफी मुश्किल है कि एसआईटी की जांच ‘को किसी ने प्रभावित करने की’ कोशिश की है। न्यायालय यह आशा करता है कि एसआईटी जांच को इसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाएगा।

सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से पूछा कि क्या वह इन आरोपों को स्वीकार करते हैं कि दिवंगत पुष्कर के पति ने मामले को उलझाने और प्रभावित करने के लिए सरकार को प्रभावित करने के प्रयास किए हैं।

जैन ने इन आरोपों से साफ इंकार करते हुए कहा कि वह इन आरोपों को स्वीकार नहीं करते हैं और दिल्ली पुलिस के प्रभावित होने या सबूत को मिटाने का कोई सवाल ही नहीं है।

स्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि जांच को समाप्त कराने के लिए लगातार प्रयास किए गए और आरोप लगाया कि एफआईआर लगभग एक वर्ष पहले दर्ज किया गया था और उसके बाद कुछ नहीं हुआ।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में काफी प्रभावशाली लोग संलिप्त हैं और उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है तथा इस मामले में पहले ही अनावश्यक देरी हो चुकी है।

न्यायालय ने स्वामी से पूछा, आपकी याचिका में कौन सा भाग आपके निजी ज्ञान पर आधारित है और कौन सा भाग आपके विश्वास पर आधारित है?

पीठ ने कहा कि स्वामी इस तरह के ‘अतिरंजित आरोप’ नहीं लगा सकते।

न्यायालय ने कहा, आपने अपने शपथ पत्र में कहा कि आपने किसी सूचना को गुप्त नहीं रखा है। आज जब हम आपसे आपके आरोपों के आधार को बताने के लिए कह रहे हैं, तो आप कह रहे हैं कि आप इस संबंध में अन्य शपथपत्र दाखिल करेंगे। इसका मतलब है कि आपने सूचना छुपाई है।

स्वामी ने कहा, यह मेरी पहली जनहित याचिका नहीं है। मुझे पता है कि न्यायालय कैसे काम करता है। ऐसा पहली बार है कि मुझसे इस तरह के प्रश्न किए गए हैं। मैं कानून मंत्री रह चुका हूं। आप मुझ पर सबूत छुपाने के समतुल्य आरोप लगा रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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