बिजनेस
मप्र के 4 टाइगर रिजर्व समुदाय को देते हैं 75 करोड़ रुपये : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में चार टाइगर रिजर्व मिलकर समुदाय को 75 करोड़ और सरकार को 19 करोड़ रुपए का मुनाफा देते हैं। एक वन्यजीव रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
बाघों के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रघु चंडावत द्वारा एक रिपोर्ट ‘संरक्षण व समुदायों के लिए वन्यजीव पर्यटन का महžव’ प्रकाशित की गई। यह रिपोर्ट मध्य भारत में चार टाइगर रिजर्व से संबंधित गहन अध्ययन के हालिया परिणामों के बारे में बताती है।
रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम ने पाया कि वन्यजीव पर्यटन में प्रवेश शुल्क से मिलने वाला कुल राजस्व 19,42,00,000 रुपये था। यह इन रिजर्वो को राज्य सरकार से मिले 18,76,22,500 रुपये के अनुदान से ज्यादा था। केन्द्रीय सहायता बजट 21,24,31,200 रुपये था (इन चार रिजर्वो के लिए 2016-17 में कुल बजट था 40,00,53,700 रुपये)।
इस शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ. रघु चंडावत बताते हैं, भारत में ज्यादातर टाइगर रिजर्व छोटे हैं और इन सीमा के अंदर संरक्षित टाइगर की आबादी व्यवहार्य नहीं है। संरक्षण के लिए के निवारण वाले मॉडल अब बड़े परिदृश्य में संभव नहीं हैं। संरक्षण क्षेत्रों की सफलता को आधार बनाने और बाघ के संरक्षण को उसकी सीमाओं से बाहर ले जाने के लिए, हमें जंगल को बचाने व उसे बहाल करने के लिए नए, समान और अनुपूरक मॉडल को आजमाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि परिणाम बताते हैं, वन्यजीव पर्यटन ऐसा करने का एक तरीका दे सकता है; समर्थन व उन्नत स्थायी अभ्यासों से, पर्यटन बाघों व आसपास के बहुत बड़े क्षेत्र में रहने वाले लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।
अगर प्रकृति पर्यटन को खतरे की जगह संरक्षण के टूल के रूप में देखा जाए, तो इसमें कई दूरस्थ क्षेत्रों में स्थायी व महत्वपूर्ण आर्थिक विकास लाने की क्षमता है।
यह रिपोर्ट बताती है कि जिन गांवों में पर्यटन की मूलभूत व्यस्थाएं हैं वहां पर छोटे व्यापारिक उद्यम उन गांवों की तुलना में आठ गुना ज्यादा हैं जहां ये व्यवस्थाएं नहीं हैं। साथ ही साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को अक्सर बेहतर करते हुए, यह रिपोर्ट बताती है कि पर्यटन ने गांवों के रोजगार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है और सेहत व शिक्षा भी काफी हद तक उन्नत हुई है। इसके अलावा, जंगल पर इन समुदायों की निर्भरता भी काफी हद तक कम हुई है और वन्यजीव संरक्षण की ओर उनका सकारात्मक रवैया भी बढ़ा है, जो संरक्षण के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण रूप से सबकी जीत वाली स्थिति है।
प्रकृति प्रबंधन की चैरिटी ‘टीओएफटाइगर्स’ के संस्थापक जूलियन मैथ्यूज यह ध्यान दिलाते हैं, इस अध्ययन में पाया गया है कि 80 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोग कर रहे हैं, सीधे मिलने वाले कुल राजस्व का 45 प्रतिशत स्थानीय अर्थव्यवस्था को जाता है और 90 प्रतिशत उपलब्ध आवास बजट यात्रियों को सेवाएं देते हैं न कि लग्जरी को। शोधकर्ताओं को जंगलों को पहुंचने वाले नुकसान का भी कोई साक्ष्य नहीं मिला लेकिन अब भी निश्चित तौर पर कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं हैं, जिसमें ठीक से योजना न बनाना, लाइटिंग, शोर और कचरे का निपटान शामिल है, जिन्हें बेहतर करने की जरूरत है ताकि बाघों की सुरक्षा और वन्य संरक्षण में सहयोग देने के लिए इस क्षेत्र की पूरी संभावना का उपयोग किया जा सके।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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