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नेशनल

कर्नाटक : निजी चिकित्सकों की हड़ताल खत्म

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बेंगलुरू, 18 नवंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक के निजी चिकित्सक शुक्रवार को पांच दिनों से चल रही हड़ताल खत्म करने की घोषणा करने के बाद शनिवार को काम पर लौटे और मरीजों का इलाज शुरू किया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कर्नाटक अध्याय सचिव डॉ. बी. वीराना ने यहां आईएएनएस को बताया, हड़ताल खत्म होने के बाद राज्य के सभी निजी चिकित्सक सुबह काम पर लौट आए। जैसा कि हमने शुक्रवार को उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था, सभी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के कामकाज को विनियमित करने के लिए कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान (केपीएमई) अधिनियम, 2007 के संशोधन विधेयक में दंडात्मक प्रावधानों को शामिल किया है, जिसमें इलाज की लागत, शिकायत निवारण समितियां और यदि चिकित्सक की लगती से किसी की मौत होती है, तो चिकित्सक को कारावास की सजा देना शामिल है।

निजी अस्पतालों के करीब 50,000 चिकित्सक हड़ताल पर थे। यहां से करीब 500 किलोमीटर दूर बेलगावी में कई चिकित्सकों ने भूख हड़ताल की।

डॉ. वीराना ने कहा, राज्य सरकार ने हमारी सभी मांगों को मान लिया है। वह संशोधन करेंगे और सोमवार को विधेयक को फिर से प्रस्तुत करेंगे।

उन्होंने कहा, जैसा कि हमने मांग की थी, राज्य सरकार जिला स्तर पर शिकायत निवारण समिति बनाने के लिए सहमत नहीं हुई है। पीड़ित रोगी केपीएमई अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के तहत जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) या कर्नाटक मेडिकल काउंसिल (केएमसी) से संपर्क कर सकते हैं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एच.जी. रमेश और न्यायमूर्ति पी.एस. दिनेश कुमार की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने शुक्रवार को निजी चिकित्सकों को अपनी हड़ताल वापस लेने का आदेश दिया था, क्योंकि राज्य सरकार संशोधन विधेयक के बारे में उनकी मांगों पर विचार करने के लिए सहमत हो गई थी।

हड़ताल कर रहे निजी चिकित्सकों और निजी अस्पतालों के खिलाफ बुधवार को वकील द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर अंतरिम आदेश में पीठ ने कहा, मूल चिकित्सा सेवाएं लेना हर नागरिक के लिए जीवन का अधिकार है।

विधेयक के बारे में निजी चिकित्सकों की चार मुख्य मांगों में केपीएमई अधिनियम के तहत सरकारी चिकित्सकों का शामिल होना, किसी भी शिकायत निवारण समिति का न होना, गलती करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कोई जुर्माना ना होना या चिकित्सा लापरवाही के कारण रोगी की मृत्यु के लिए उन्हें कारावास की सजा ना मिलना शामिल है।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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