Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मनोरंजन

बॉक्स ऑफिस संग्रह मेरे लिए मायने रखता है : राय लक्ष्मी

Published

on

Loading

पथानमथिट्टा (केरल), 26 नवंबर (आईएएनएस)| जीव विज्ञान की 57 वर्षीया सेवानिवृत्त प्रोफेसर समाज की भलाई के लिए एक अनूठा काम कर रही हैं। गरीबों की सेवा के तहत पिछले 11 वर्षों में उन्होंने 78 गरीबों के लिए नए घर बनाए हैं। यह उस इलाके में समाज सेवा का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां खाड़ी के देशों में काम करने वालों के पैसों से ग्रामीण इलाकों में आलीशान घर खड़े हैं।

उनके इस परोपकारी काम की शुरुआत 2006 में उस समय हुई थी, जब उन्हें पता चला कि उनके कुछ गरीब छात्र टूटे-फूटे, असुरक्षित घर में रहते हैं। तब उन्होंने इसमें सुधार करने का फैसला किया।

इसके बाद उन्होंने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा। उन्होंने अपने गृह जिले पथानमथिट्टा में 77 घरों का निर्माण किया और एक घर पास के जिले कोल्लम में बनाया है, जहां विदेशों में काम कर रहे केरल के निवासी अधिकतर घरों के निर्माण में पैसा लगाते हैं।

गरीबों की भलाई के लिए काम कर रही इस महिला का नाम एम.एस.सुनील है, जो अमूमन महिलाओं का नाम नहीं होता। वह एक अलग रास्ते पर चल रही हैं जो तेजी से उनके जुनून को वास्तविकता में बदलने की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि यह अचानक ही हुआ कि उन्होंने गरीबों के लिए आशियाना बसाने का काम शुरू किया।

सुनील ने कहा, साल 2006 में मुझे पता चला कि मेरा एक छात्र असुरक्षित घर में मुश्किल में जीवन व्यतीत कर रहा है। मैं उस समय राष्ट्रीय सेवा योजना (जो सामुदायिक सेवा के जरिए छात्रों के व्यक्तित्व के विकास पर केंद्रित है) से जुड़ी हुई थी। हमने छात्र के लिए एक घर बनाने का फैसला किया। हमने इसके लिए 60,000 रुपये जुटाए और और नया घर तैयार किया।

इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह सामूहिक अभियान से जुड़ी नहीं रह सकतीं क्योंकि यह थकाऊ था और उन्होंने एकल प्रायोजक की तलाश शुरू करने का फैसला किया। जल्द ही अमीर लोगों ने उनसे संपर्क करना शुरू कर दिया और उन्हें बेघरों के आश्रयों के निर्माण के लिए पैसे देने शुरू कर दिए।

उन्होंने पिछले महीने 78वां घर बनाकर पूरा किया है।

सुनील ने कहा, पिछले साल कॉलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद मैं अपने इस काम में जुट गई। फिलहाल, आठ घरों को लेकर काम चल रहा है, जिसमें छह लगभग तैयार हैं।

जिन लोगों को घरों की जरूरत है, ऐसे लोगों के चुनाव की प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि वह लगभग 12 वर्षो से घर बना रही हैं, कई गरीब लोगों ने उनसे संपर्क किया और मदद करने का आग्रह किया है।

सुनील ने कहा, जो पहली चीज मैं देखती हूं वह यह है कि क्या जरूरतमंद शख्स ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है, जहां महिलाएं हैं। इसके बाद मैं अपने स्तर पर परिवार के बारे में जानकारी जुटाती हूं कि क्या उन्हें घर की जरूरत है। जिन 78 घरों का मैंने निर्माण कार्य पूरा किया है, उनमें से जमीन सिर्फ दो घरों के लिए खरीदी गई। अन्य मामलों में या तो लाभार्थी शख्स के पास जमीन थी या स्थानीय ग्रामीण परिषदों ने जमीन दी।

उन्होंने पूंजी के बारे में बताते हुए कहा कि पहले घर के निर्माण की लागत 60,000 रुपये थी और जो आखिरी घर सुपुर्द किया गया, उसकी कीमत 2.50 लाख रुपये से अधिक थी।

सुनील ने कहा, मेरे ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कई लोगों ने मुझसे संपर्क साधा और मुझे पैसे दिए। मैंने एक नियम बनाया है कि मैं एक घर बनाने के लिए एक से अधिक शख्स से पैसे नहीं लेती हूं। लेकिन, ऐसा भी हुआ, जब उदार लोगों ने मुझे फोन कर कहा कि वे इतना ही दे सकते हैं। यदि मैं इस काम के लिए खुद के लगाए गए पैसों को गिनूं तो मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा। मैं केवल तभी अपनी धनराशि का निवेश करती हूं, जब पैसे की कमी होती है।

छह नए घरों में से चार के निर्माण के लिए अमेरिका स्थित एक परिवार ने पैसा लगाया है।

उन्होंने कहा कि वह अपने जिले के आसपास ही काम करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि जब भी काम शुरू हो, वह वहां मौजूद हों।

सुनील ने कहा, जब मैं कॉलेज में कार्यरत थी तो दोपहर 3.30 बजे के बाद निर्माण स्थल पर जाती थी। अब सेवानिवृत्त हो गई हूं तो अपने जुनून को साधने का पूरा समय मेरे पास है।

उनके कारोबारी पति ने भी एक घर के निर्माण में निवेश किया है, जबकि उनका इकलौता बेटा, जो आयरलैंड में पढ़ाई कर रहा है, उन्हें फोन कर उनके पैशन के बारे में पूछता रहता है।

सुनील ने कहा कि उदार प्रायोजकों के बिना उनका जुनून वास्तविकता नहीं बन पाता जिनमें से अधिकांश विदेश में हैं।

उनका कहना है कि अपने रिकॉर्ड को देखते हुए वह आश्वस्त हैं कि वह और भी घर बना पाएंगी क्योंकि ऐसे कई बेघर परिवार हैं, जो उनका इंतजार कर रहे हैं और वह प्रायोजकों का इंतजार कर रही हैं।

(यह फीचर आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन के सहयोग से विविध, प्रगतिशील व समावेशी भारत को प्रदर्शित करने के लिए शुरू की गई विशेष श्रृंखला का हिस्सा है।)

Continue Reading

ऑफ़बीट

SAMAY RAINA : कौन हैं समय रैना, दीपिका पादुकोण को लेकर कही ऐसी बात, हो गया विवाद

Published

on

Loading

मुंबई। समय रैना के शो टैलेंट शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ फिलहाल काफी विवादों में घिरा हुआ नजर आ रहा है. इसकी वजह ये है कि इस शो पर दीपिका पादुकोण की प्रेग्नेंसी और उनके डिप्रेशन का मजाक बनाया गया है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. दीपिका के फैन्स इस वीडियो को देखने के बाद काफी नाराज नजर आ रहे हैं और सभी इस शो की खूब आलोचना भी कर रहे हैं. समय रैना वायरल क्लिप में कहते हैं दीपिका पादुकोण हाल ही में मां बनी हैं. बढ़िया, अब उन्हें आसानी से समझ आएगा कि डिप्रेशन असल में कैसा होता है. उनके इस कमेंट के बाद हंगामा मचा हुआ है.

कौन हैं समय रैना?

समय रैन ‘कश्मीरी’ स्टैंडअप कॉमेडियन हैं, जो इन दिनों अपने डार्क, ‘वेरी डार्क’ और विवादित शो इंडियाज गॉट लेटेंट के चलते सुर्खियों में हैं. समय रैना ने अपने दोस्तों के साथ इंफ्लूएंसर नेटवर्क का सहारा लेते हुए यूट्यूब पर शतरंज के खेल की स्ट्रीमिंग शुरू की थी, लेकिन बाद में उन्होंने स्टैंडअप करना शुरू किया कर दिया. अपने हंसाने के तरीके के चलते समय मशहूर होने लगे. समय रैना एक टैलेंटेड शतरंज प्लेयर भी हैं.

समय ने हैदराबाद में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की. इसके बाद समय महाराष्ट्र चले गए और प्रिंट इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पुणे से की. फिलहाल समय रैना फुल टाइम कॉमेडी कर रहे हैं. इंस्टाग्राम पर समय रैना के 3.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं. यूट्यूब पर उनके 4.46 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं. इन्फ़्लुएंसर आयुष्मान पंडिता ने अपने एक वीडियो में बताया समय की कमाई का खुलासा करते हुए कहा था कि रैना हर महीने लगभग 1.5 करोड़ रुपये कैसे कमा रहे हैं. हालांकि उन्होंने इसे बस अपना अनुमान भी बताया था.

Continue Reading

Trending