बिजनेस
रियल्टी में मंदी बरकरार, रेरा के बाद सुधार की उम्मीद (सिंहावलोकन : 2017)
कोलकाता, 27 दिसंबर (आईएएनएस)|रियल एस्टेट सेक्टर में सरकार की तरफ से कई नीतिगत पहल के बावजूद पूरे साल मंदी छाई रही, हालांकि किफायती आवास श्रेणी में अच्छी तेजी रही।
संपत्ति सलाहकार और डेवलपर्स के अनुसार, नीतिगत सुधारों में आवासीय रियल एस्टेट के सौदे को पहले से कहीं अधिक पारदर्शी बनाने का वादा किया गया है और बाजार में आशा है कि 2018 में बिक्री में सुधार होगा और नई इकाइयां लांच होंगी तथा घर खरीदारों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
पिछले साल के अंत में केंद्र की आश्चर्यजनक नोटबंदी की घोषणा रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए ‘असली झटका’ थी।
इस बीच, रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (आरईआरए) को वित्तीय अनुशासन में सुधार, बाजार में पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रामक डेवलपर्स और दलालों से निपटने के लिए उपभोक्ताओं को स्पष्ट कानूनी विकल्प और भरोसा प्रदान करने के लिए लाया गया। वहीं, कराधान पारदर्शिता में सुधार के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा बेनामी संपत्तियों के लेनदेन पर रोक लगाने के लिए बेनामी संपत्ति अधिनियम पारित किया गया।
अनारक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने आईएएनएस को बताया, व्यापक सुधार किए गए हैं, जिससे भारतीय रियल एस्टेट कारोबार में सचमुच बहुत बदलाव आया है। जो काले धन को दूर करने और बाजार पारदर्शिता में सुधार पर केंद्रित है, ताकि देश के आवासीय अचल संपत्ति कारोबार को उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए बेहतर बनाया जा सके।
राष्ट्रीय रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के उपाध्यक्ष प्रवीण जैन ने कहा कि नोटबंदी और रेरा लागू करने तथा जीएसटी लागू होने के बाद सभी हितधारकों ने ‘इंतजार करो और देखो’ की नीति अपना रखी है।
जैन ने आईएएनएस से कहा, इससे क्षेत्र में कुछ हद तक मंदी आई है, क्योंकि हर कोई नोटबंदी, रेरा और जीएसटी के प्रभाव को समझने की कोशिश कर रहा है। कोई भी तब तक नए सौदे करने के लिए तैयार नहीं है, जब तक कि स्थायित्व न आ जाए।
जेएलएल इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कंट्री हेड रमेश नायर ने कहा कि जीएसटी, निर्माणाधीन परियोजनाओं में घरों की खरीद पर लागू होता है, जिससे घर खरीदारों को या तो पूरी हुई परियोजनाएं खरीदने या अपने खरीद निर्णय को रोकने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, डेवलपर्स ने प्रमुख शहरों में रेरा के तहत अपंजीकृत परियोजनाओं की बिक्री रोक दी है।
नायर ने आईएएनएस से कहा, इन कारकों की वजह से 2017 की तीसरी तिमाही में शीर्ष सात में से पांच शहरों में तिमाही बिक्री सर्वकालिक रूप से कम 4.8 फीसदी पर आ गई है।
साल 2017 की तीसरी तिमाही तक आवासीय परियोजनाओं की लांचिंग में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। साथ ही, किफायती आवास की श्रेणी में पहली तीन तिमाहियों में 27 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इनमें से ज्यादातर ने नए सरकारी नियमों का फायदा उठाते हुए और उस श्रेणी में घरों को लांच किया है।
कुशमन एंड वेकफील्ड्स के वरिष्ठ निदेशक (शोध सेवाएं) सिद्धार्थ गोयल ने आईएएनएस को बताया, डेवलपर्स और उपभोक्ता दोनों के लिए सस्ती हाउसिंग एक आकर्षक प्रस्ताव है, क्योंकि मांग बहुत बड़े पैमाने पर है, और पूर्ति काफी कम है। केंद्र सरकार द्वारा इस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिए जाने से डेवलपर्स के लिए कर्ज-वित्तपोषण का कई रास्ता खुला है, जिसमें ईसीबी, एफडीआई के साथ ही राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से उच्च प्रतिस्पर्धी दरों पर ऋण की उपलब्धता शामिल है।
रेरा के कार्यान्वयन में हालांकि राज्यों द्वारा ढील बरती जा रही है। केंद्र सरकार की अनुसूची के अनुसार, साल 2017 के जुलाई अंत तक, सभी राज्यों को पूर्ण कार्यक्षमता के साथ रेरा लागू करना चाहिए था।
नाईट फ्रैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सामंतक दास ने आईएएनएस से कहा, कई राज्य अभी भी इस प्रक्रिया में हैं या उनके पास आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं हैं। कुछ राज्यों के रेरा नियमों ने खरीदारों को निराश किया है।
आईसीआरए के एक अध्ययन के अनुसार, 2017 की तीसरी तिमाही तक अधिकांश प्रमुख राज्यों ने अपने रियल एस्टेट नियमों को अधिसूचित कर लिया था और रेरा अधिनियम के तहत आवश्यक रीयल एस्टेट विनियामक प्राधिकरणों की स्थापना कर ली थी। लेकिन रेरा के कार्यान्वयन के बाद भी नई परियोजना शुरू होने में मंदी देखी गई। जबकि डेवलपर अपनी चल रही परियोजनाओं की बिक्री जारी रख रहे हैं। उन परियोजनाओं में ग्राहकों के विश्वास में सुधार हुआ है, जिसे राज्य सरकार के तहत गठित रेरा द्वारा मंजूरी दी गई हो।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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