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मुस्लिम महिलाओं ने तोड़ी तीन तलाक की बेड़ियां : मोदी
नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत में मुस्लिम महिलाओं को आखिरकार सदियों पुरानी प्रथा तीन तलाक की पीड़ा से बाहर निकलने का रास्ता मिल गया। मोदी ने कहा, सदियों से तीन तलाक से जूझती आ रही मुस्लिम बहनों और माताओं का दर्द किसी से छुपा नहीं है। वर्षो की लड़ाई के बाद आखिरकार उन्होंने तीन तलाक से खुद को छुटकारा दिलाने का तरीका ढूंढ लिया।
लोकसभा में तीन तलाक देने वाले को तीन साल की जेल संबंधी विधेयक के पारित हो जाने के बाद मोदी की यह पहली प्रतिक्रिया है।
मोदी यहां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केरल में शिवगिरी मठ में 85वें शिवगिरी तीर्थ समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने हालांकि लोकसभा में गुरुवार को पास किए गए मुस्लिम महिला (विवाह सुरक्षा अधिकार) विधेयक के बारे में कोई जिक्र नहीं किया।
विधेयक को अभी राज्यसभा की मंजूरी मिलना बाकी है। इसमें एक साथ तीन तलाक देने वाले मुस्लिम पतियों के लिए तीन साल के कारावास का प्रावधान है।
विधेयक में पत्नी और आश्रित बच्चों की दैनिक जरूरतों के लिए पति से आजीविका के लिए निर्वाह भत्ते का प्रावधान है। नाबालिग बच्चे मां की निगरानी में ही होंगे।
तीन तलाक की प्रथा को सऊदी अरब, पाकिस्तान और मिस्र जैसे मुस्लिम बहुल देशों में नहीं माना जाता है।
अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि सरकार ने काले धन, भ्रष्टाचार, बेनामी संपत्ति और आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इनके खिलाफ लड़ाई अगले साल तेज की जाएगी।
उन्होंने कहा, हम 2018 में सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन और सबके विकास के मंत्र के साथ देश को नई ऊचाइयों पर ले जाएंगे।
नेशनल
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात
कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’
4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।
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