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गूगल ने उपन्यासकार वर्जीनिया वुल्फ को दी श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)|सर्च इंजन गूगल ने अपने डूडल के जरिए जानी-मानी उपन्यासकार वर्जीनिया वुल्फ को उनकी 136वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। लेखिका ने अपनी लेखन शैली में ‘चेतना के प्रवाह’ के दृष्टिकोण को इस्तेमाल में लाने की कोशिश की, जिसके चलते उन्होंने अपने उपन्यास के किरदारों के जीवन की आंतरिक जटिलता को दर्शाया।

लंदन के रहने वाले चित्रकार लुईस पोमेरॉय ने डूडल का निर्माण किया, जिसके बारे में गूगल ने कहा कि यह उनकी बेहद न्यून शैली को दर्शाती है।

वुल्फ की काल्पनिक कहानियों ने हमें दिखाया है कि किसी व्यक्ति का आंतरिक जीवन किसी कथानक की तरह ही जटिल व अजीब होता है।

20वीं सदी की प्रमुख उपन्यासकारों में से एक वर्जीनिया का जन्म 1882 में लंदन में हुआ था। वुल्फ ने 1921 में एक डायरी प्रविष्टि में इस बात का जिक्र किया कि कैसे परिवार के साथ मनाई गई छुट्टियों की यादें और चारों तरफ के परिदृश्यों, खासकर गॉडरेवी लाइटहाउस ने बाद के सालों में उनकी काल्पनिक कहानियों पर अपना असर डाला।

वुल्फ ने तकनीकी रूप से अपनी लेखन शैली में चेतना के प्रवाह को बखूबी स्पष्ट करते हुए लिखा था, कॉर्नवल के प्रति मैं अविश्वसनीय रूप से इतनी रोमांटिक क्यों हूं? किसी एक के अतीत में, ऐसा लगता है कि मैं बच्चों को बगीचे में इधर-उधर भागते देख रही हूं..रात में समुद्र के लहरों की ध्वनि..जीवन के लगभग 40 वर्षो तक..सब कुछ उसी पर आधारित है, पूरी तरह से उसी के प्रभाव में हूं..बहुत कुछ है, जिसे कभी खुलकर स्पष्ट नहीं कर सकी।

बचपन के दिनों में वुल्फ ने घर पर ही अंग्रेजी क्लासिक और विक्टोरियन साहित्य की ज्यादातर पढ़ाई की।

उन्होंने 1900 में पेशेवर रूप से लिखना शुरू किया और लंदन के साहित्यिक समाज और ब्लूम्सबरी समूह की महत्वपूर्ण सदस्य बन गई।

‘टू द लाइटहाउस’ (1927) और ‘मिसेज डलोवे’ (1925) जैसे उपन्यासों ने उन्हें खूब लोकप्रियता दिलाई।

समाचार पत्र ‘द सन’ के मुताबिक, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनकी साहित्यिक प्रतिष्ठा में हालांकि थोड़ी गिरावट आई, लेकिन उनके कामों ने नए सिरे से प्रमुख मुद्दों खासकर 1970 के दशक के नारीवादी आंदोलन को प्रेरित किया।

वुल्फ मानसिक बीमारी से भी जूझ रही थीं और 59 साल की उम्र में जीवन से निराश होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।

28 मार्च 1941 को ससेक्स में अपने घर के पास की एक नदी में कूदकर वुल्फ ने आत्महत्या कर ली। उनका शव तीन सप्ताह तक नहीं मिला।

उन्होंने अपने पति को संबोधित कर सुसाइड नोट में लिखा था, प्रिय, मुझे लग रहा है कि मैं फिर से पागल हो रही हूं। मुझे लगता है कि हम फिर से उन भयावह पलों से नहीं गुजर सकते और मैं इस बार ठीक नहीं हो सकती।

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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