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‘पद्मावत’ ने पहले सप्ताहांत में 100 करोड़ कमाए

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मुंबई, 29 जनवरी (आईएएनएस)| संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ ने विरोध के बहाने देश में जातीय और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों को कड़ा जवाब देते हुए पहले सप्ताहांत में ही बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ रुपये की कमाई का आंकड़ा पार कर लिया है। वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स के अनुसार, ‘पद्मावत’ ने 28 जनवरी तक यानी सिर्फ तीन दिन में 114 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। यह फिल्म 25 जनवरी को देशभर के 4,000 सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।

यह फिल्म गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले रिलीज हुई थी। लेकिन इससे पहले 24 जनवरी को ‘पेड प्रिव्यू’ शो से इस फिल्म ने पांच करोड़ रुपये की कमाई की और उसके बाद 25 जनवरी को 19 करोड़, 26 जनवरी को 32 करोड़ और 27 जनवरी को 27 करोड़ और 28 जनवरी को 31 करोड़ रुपये कमाए।

व्यापार विश्लेषक तरन आदर्श ने ट्वीट किया, विरोध..विवाद..कुछ राज्यों में रिलीज न होने के बावजूद पद्मावत ने अपने पहले सप्ताहांत में शानदार कारोबार किया। फिल्म को (लगभग 35 से 37 करोड़) का नुकसान हुआ, लेकिन फिर भी इसने शानदार प्रदर्शन कर अच्छी कमाई की।

फिल्म देखने वालों को इस फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा, बल्कि वे काफी तारीफ कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि विरोध का यह तमाशा महज राजपूत वोट पाने और हिंदुओं में धार्मिक उन्माद पैदा करने के लिए सोची-समझी साजिश के तहत खड़ा किया गया। उपद्रवियों को सत्ताधारियों का समर्थन मिलने और विपक्षी कांग्रेस की चुप्पी से साफ हो गया कि यह सारा खेल वोट के लिए था और है। इसी साल आठ राज्यों में विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव होना है।

वोट की राजनीति करने वाले कला का गला दबाना चाहते थे, लेकिन वे विफल रहे और बेनकाब भी हुए।

फिल्मकार भंसाली के लिए खुशी की बात यह भी है कि उनकी ‘पद्मावत’ अमेरिका और पाकिस्तान में भी अच्छी कमाई कर रही है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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