नेशनल
स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज का जलावतरण
मुंबई, 31 जनवरी (आईएएनएस)| तीसरी स्वदेशी डीजल इलेक्ट्रिक स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस करंज का मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में बुधवार सुबह जलावतरण किया गया। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की पत्नी रीना लांबा के हाथों जलावतरण कराया गया। अन्य तीन स्कार्पीन का निर्माण एमडीएल द्वारा फ्रांस के डीसीएनएस के सहयोग से तकनीकी हस्तांतरण अनुबंध के तहत किया जा रहा है, जो अभी कतार में हैं।
पहले पोत आईएनएस कलवरी को भारतीय नौसेना में 14 दिसंबर, 2017 को शामिल किया गया था, जबकि दूसरे आईएनएस कंधारी का उसी साल जनवरी में जलावतरण किया गया था और इसका समुद्री परीक्षण चल रहा है।
इस मौके पर एडमिरल लांबा ने अपने संबोधन में कहा कि आईएनएस करंज का जलावतरण प्रथम दो पनडुब्बियों में अपनाई गई मैनिंग और प्रशिक्षण फिलासिफी से एक महत्वपूर्ण प्रस्थान है। उन्होंने कहा कि मौजूदा पनडुब्बी के साथ अब आगे नौसेना प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया में पूरी तरह आत्मनिर्भर होगी।
उन्होंने कहा कि पहले आईएनएस करंज ने देश की 34 सालों तक 1969 से 2003 तक सेवा दी थी और उसने 1971 के युद्ध में भागीदारी की थी।
इस स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण में अत्याधुनिक उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। इसमें गोपनीयता विरोधी मिसाइलों के रडार से बच निकलने की क्षमता, कम विकिरण वाला ध्वनि स्तर व निर्देशित हथियारों के साथ दुश्मन पर हमला करने की क्षमता है।
इसके दोनों टारपीडो से हमले किए जा सकते हैं और जल के अंदर या सतह पर पोत भेदी मिसाइल छोड़ी जा सकती है। इसकी गोपनीयता पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है, जो इसे कई पनडुब्बियों की तुलना में अभेद्य बनाती है।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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