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बिजनेस

भारतीय मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या जून तक होगी 47.8 करोड़

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नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)| भारत में मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या जून तक 47.8 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) और कंटार-आईएमआरबी द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया, 2017 के दिसंबर तक मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या 17.22 फीसदी बढ़कर 45.6 करोड़ यूजर्स तक पहुंच गई।

इस रिपोर्ट में देश में मोबाइल इंटरनेट की लोकप्रियता को दर्शाया गया है, जो कि किफायती होने के कारण लोकप्रिय हो रही है।

रिपोर्ट में कहा गया, वॉयस पर किए जानेवाले खर्च में 2013 से ही लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) और वीडियो चैटिंग की बढ़ती लोकप्रियता के साथ ही हाल के समय में वॉयस सेवाओं पर किए गए जानेवाले खर्च में भारी कमी आई है।

रिपोर्ट में कहा गया, इसका मतलब यह है कि ज्यादातर यूजर्स के लिए वॉयस की तुलना में डेटा पर खर्च बढ़ रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया, शहरी भारत में साल-दर-साल अनुमानित वृद्धि दर 18.64 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण भारत में इसी अवधि (दिसंबर 2016 से दिसंबर 2017) के दौरान अनुमानित वृद्धि दर 15.03 फीसदी रही।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2017 के दिसंबर तक कुल 29.1 करोड़ शहरी मोबाइल इंटरनेट यूजर्स हैं तथा 18.7 करोड़ ग्रामीण मोबाइल इंटरनेट यूजर्स हैं।

हालांकि अध्ययन में शहरी भारत में इंटरनेट पहुंच में मंदी का अनुमान लगाया गया है, जहां पहले से ही 59 फीसदी पहुंच दर्ज की गई है, जबकि ग्रामीण भारत में 18 फीसदी मोबाइल इंटरनेट पहुंच के साथ ही ग्रामीण इलाकों में आगे आने वाले दिनों में विकास की उम्मीद है।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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