साइंस
अमेरिका : माइक्रोसॉफ्ट डेटा मामला खारिज करने का न्यायालय से आग्रह
सैन फ्रांसिस्को, 1 अप्रैल (आईएएनएस)| अमेरिकी न्याय विभाग ने विदेशों में संग्रहित डेटा का कानूनी तौर पर संकलन करने संबंधी कानून पर हस्ताक्षर होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय से अंतर्राष्ट्रीय डेटा निजता को लेकर माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ मुकदमे को खारिज करने का आग्रह किया है।
न्याय विभाग ने शनिवार को देर से अदालत में दाखिल याचिका में कहा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बीते सप्ताह 23 मार्च को हस्ताक्षरित नए कानून में माइक्रोसॉफ्ट मामले का जवाब है।
समाचार चैनल ‘सीएनएन’ के मुताबिक, न्याय विभाग ने कहा, इसलिए मुकदमा अब प्रासंगिक नहीं है।
माइक्रोसॉफ्ट की कानूनी लड़ाई की शुरुआत 2013 में हुई, जब कंपनी ने आयरलैंड स्थित सर्वर पर संग्रहित ईमेल अमेरिकी अधिकारियों को सुपुर्द करने से मना कर दिया था।
कंपनी ने कहा था कि विदेशों में संग्रहित आंकड़ों को साझा करने से अंतर्राष्ट्रीय संधियों व नीतियों का उल्लंघन हो सकता है और इस संबंध में स्पष्टता प्रदान करने का कोई कानून नहीं है।
अमेरिका में 23 मार्च को व्यय विधेयक के अंग के रूप में अमल में लाए गए क्लाउड अधिनियम में अमेरिका के लिए दूसरे राष्ट्रों के साथ करार करने के लिए कानूनी मार्ग प्रदान किया गया है, जिससे वह आसानी से विदेशों से संग्रहित आंकड़ों का संकलन करने के लिए कानून को अमल में ला सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने नए कानून की तरफदारी करते हुए कहा कि क्लाउड अधिनियम में कानूनी स्पष्टता है, जिसकी कंपनी ने मांग की थी।
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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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