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पृथ्वी के बाहर मिली जीवन की संभावना, इस ग्रह पर वैज्ञानिकों को मिले एलियन के सबूत

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एलियन

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नई दिल्ली। लोगों की दिलचस्पी अक्सर ये जानने में रहती है कि पृथ्वी के अलावा किसी और ग्रह पर भी जीवन है या नहीं। वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर लगातार शोध करते आए हैं। अब इस रिसर्च पर वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिलती दिख रही है। वैज्ञानिको ने एक अध्ययन में पाया है कि पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह शुक्र पर एलियन हो सकते हैं।

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि करीब दो अरब साल पहले इस ग्रह पर पानी मौजूद था। अध्ययन से यह बात साफ हो गई है कि मंगल से कई करोड़ वर्ष पहले शुक्र पर रहने लायक वातावरण था। वैज्ञानिकों के एक अनुमान के मुताबिक अब तक शुक्र पर शूक्ष्म जीव भी विकसित हो गयी होंगी। कैलिफोर्निया स्टेट पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राकेश मोगुल कहते हैं, पृथ्वी पर विपरीत परिस्थितियों में भी सूक्ष्म जीव पनप रहे हैं, तो शुक्र पर भी ऐसा हो सकता है।

बादलों के बीच हो सकता है जीवन

पुराने शोधों में भी सामने आया है कि अम्लीय वातावरण में जीवन संभव हो सकता है। इनमें विकसित हुए सूक्ष्म जीव कार्बन डाईऑक्साइड ग्रहण कर सल्फ्यूरिक एसिड (एच2एसओ4) उत्पन्न करते हैं। ठीक उसी तरह शुक्र के बादलों और अम्लीय वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड के साथ सल्फ्यूरिक एसिड पानी की बूंद के रूप में मौजूद है।

1962 और 1978 के बीच शुक्र के अध्ययन के लिए हुए विभिन्न अभियानों में सामने आया कि ग्रह की सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है। साथ ही अम्‍लीय वातावरण भी इंसानी जीवन के लि घातक है, इसके बावजूद अगर कोई जीवित रह गया तो वहां के सघन वातावरण का दवाब शरीर का चूरा बना देगा।

जाहिर है ऐसी स्थिति में जीवन का विकास असंभव है, लेकिन इसके वायुमंडल के बीच वाले हिस्से यानी 40 से 60 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच में सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो सकते हैं। साथ ही शुक्र के बादलों पर सल्फ्यूरिक एसिड और प्रकाश सोखने वाले कणों से बने काले धब्बे भी मिले हैं।

प्रकाश सोखने वाले बैक्टीरिया धरती पर भी पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, ये सूक्ष्म जीव शैवाल की तरह के भी हो सकते हैं। इनके बारे में अधिक जानने के लिए बादलों के नमूनों की जरूरत होगी। बहरहाल शुक्र से जुड़ी इस रोचक जानकारी ने अंतरिक्ष में जीवन की संभावना का नया अध्याय खोल दिया है।’

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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