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कर्नाटक : पार्टियों को सप्ताहांत में चुनाव में कम मतदान का भय

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बेंगलुरू, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कम मतदान होने का डर सता रहा है।

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 12 मई (दूसरे शनिवार) को होना है, जिस दिन सभी सरकारी कार्यालय व कुछ निजी क्षेत्र के कार्यालय भी बंद हैं।

राज्य भाजपा के प्रवक्ता वमनचार्या ने आईएएनएस से कहा, सप्ताहांत की तुलना में यदि मतदान किसी कार्यदिवस के दौरान रहता तो बेहतर होता। सप्ताहांत में होने से मतदाताओं की भागीदारी पर असर पड़ सकता है, खास तौर से शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में, जहां लोग घूमने चले जाते हैं, क्योंकि इसके दूसरे दिन रविवार है।

निर्वाचन आयोग ने 27 मार्च को दक्षिणी राज्य में गर्मी के मध्य में 224 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान की घोषणा की, जिस दौरान दिन का औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहने की संभावना है।

राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव पांच मई, 2013 को आयोजित किया गया था। पिछली बार की तरह इस बार भी मतदान एक चरण में होना है और मतगणना 15 मई को निर्धारित है।

वमनचार्य ने कहा, सप्ताह के एक दिन वोट करना लाखों कामकाजी लोगों के लिए सुविधाजनक है, इसमें प्रौद्योगिकी केंद्र के हजारों तकनीशियन भी शमिल हैं, क्योंकि उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने के लिए एक दिन की वैतनिक छुट्टी मिलती है।

उदाहरण के तौर पर बेंगलुरू में काम रहे 250,000 आईटी पेशवरों में से ज्यादातर सप्ताहांत पर छुट्टियां मनाने रिसॉर्ट, पर्यटन केंद्र या वन्यजीव क्षेत्र या आसपास के नंदी हिल्स या दूसरे शहरों में चले जाते हैं।

भारत के सिलिकॉन वैली के तौर पर बेंगलुरू में करीब 2000 आईटी कंपनियां व 750 बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं।

महीने का दूसरा शनिवार होने के नाते राज्य के सरकारी कर्मचारियों व बैंक की छुट्टी होने के अलावा आईटी व बॉयोटेक कंपनियों की भी छुट्टी है, जिससे उन्हें बाहर जाने का मौका मिल जाता है और वे मतदान को प्राथमिकता नहीं देते हुए इससे बचते हैं।

कांग्रेस की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष बी.के.चंद्रशेखर ने आईएएनएस से कहा, शनिवार को मतदान चिंताजनक है, क्योंकि यह बूथों पर मतदाताओं की पहुंच पर असर डालेगा, क्योंकि बहुत से नागरिक खास तौर से युवा ठहरने व वोट डालने के बजाय घूमने चले जाते हैं।

बीते विधानसभा चुनाव में राज्य में 71 फीसदी मतदान हुआ था।

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नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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