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निशुल्क योग शिविरों में योग के साथ क्षेत्रीय विकास पर चर्चा

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निशुल्क योग शिविरों में अब स्वास्थ्य लाभ लेने के साथ-साथ अपने क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए लखनऊ जनविकास महासभा का सहयोग प्राप्त किया जा सकेगा यह वक्तव्य लखनऊ जनविकास महासभा द्वारा आयोजित निशुल्क योग शिविर के दौरान लखनऊ जनविकास महासभा के उपाध्यक्ष एवं संरक्षक योग प्रकोष्ठ संतोष तिवारी द्वारा दिया गया।

स्वस्थ समाज मजबूत राष्ट्र के उद्देश्य को लेकर स्वास्थ्य जागरुकता अभियान के अंतर्गत बीते 8 माहीने से सेक्टर 8 जानकीपुरम विस्तार में प्रतिदिन निशुल्क योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है उसी क्रम में अब लखनऊ के अलग-अलग क्षेत्रों में पांच दिवसीय निशुल्क विशेष योग शिविरों का लगाया जाना प्रस्तावित है इसी क्रम में दूसरा पांच दिवसीय निशुल्क विशेष योग शिविर का आयोजन सेक्टर 5 पानी की टंकी वाले पार्क में शुरू हुआ जहां पतंजलि हरिद्वार के योग विशेषज्ञ आनंद अवस्थी द्वारा योग के फायदे बताते हुए योग की क्रियाओं का अभ्यास करवाया गया योग आचार्य आनंद अवस्थी ने लोगों से आवाहन किया की प्रतिदिन 45 मिनट से 1 घंटा अपने शरीर के लिए अवश्य निकालना चाहिए और यह एक घंटा ही हमारे बाकी के 23 घंटों को हमारे शरीर के अनुकूल बनाता है।

इनके अलावा लखनऊ जनविकास महासभा योग प्रकोष्ठ के सह संयोजक विजयकांत श्रीवास्तव जी ने हास्य आसन के महत्व के बारे में बताते हुए कहा की दिन भर के तनाव को खत्म करने के लिए मनुष्य को सदैव प्रसन्न रहना चाहिए और खुलकर हंसना चाहिए खुलकर हंसने से ना केवल तनाव कम होता है बल्कि उससे होने वाली कई बीमारियों से भी बचाव किया जा सकता है इस मौके पर लखनऊ जनविकास महासभा के संस्थापक संयोजक पंकज कुमार तिवारी ने क्षेत्रीय निवासियों से अनुरोध करते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में योग शिविर में आने का निवेदन किया और साथ ही साथ उन्होंने अवगत कराया की लखनऊ जनविकास महासभा का संकल्प है की सामाजिक एकजुटता के साथ ही क्षेत्रीय एवं सामाजिक विकास तेजी से किया जा सकता है।

अतः योग के पश्चात 15 मिनट क्षेत्रीय विकास के संदर्भ में भी चर्चा की जाएगी और क्षेत्रीय समस्याओं को पता कर उन समस्याओं के निस्तारण के लिए लखनऊ जनविकास महासभा द्वारा पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा एवं महासभा द्वारा प्रतिदिन क्षेत्रीय एवं सामाजिक विकास के प्रति उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में भी अवगत कराया जाएगा इसी क्रम में लखनऊ जनविकास महासभा के उपाध्यक्ष संतोष तिवारी द्वारा योग के पश्चात यह भी जानकारी उपलब्ध कराई गई की रेलवे लाइन के किनारे बनी सेक्टर दो जानकीपुरम विस्तार से न्यू कैंपस विश्वविद्यालय तक बनी नई फोरलेन सड़क के बीचो-बीच लगे बिजली के खंभों को जल्द ही हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी साथ ही साथ उस फोर लाइन रोड पर स्ट्रीट लाइट की भी व्यवस्था करवाए जाने का प्रयास लखनऊ जनविकास महासभा कर रही है।

लखनऊ जनविकास महासभा के योग के साथ क्षेत्रीय विकास के इस कार्यक्रम को योग में आए लोगों ने काफी पसंद किया और उम्मीद जताई कि ऐसे कार्यक्रम कर ना केवल सामाजिक एकजुटता को बढ़ाया जा सकता है बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहते हुए क्षेत्रीय विकास में भी सहयोग प्रदान किया जा सकेगा।

प्रादेशिक

हरियाणा सरकार ने नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए उप-वर्गीकरण लागू किया

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण लागू किया है। हरियाणा विधानसभा में बोलते हुए, सीएम सैनी ने कहा, “विधानसभा सत्र में है और मुझे लगा कि सदन को इस सत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए फैसले के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए, जिसे अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के संबंध में इस अधिसूचना के माध्यम से हमारे मंत्रिमंडल द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई थी। हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के वर्गीकरण के संबंध में आज लिया गया निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू होगा। और पांच बजे के बाद, आम जनता इसे मुख्य सचिव की वेबसाइट से देख सकती है।”

1 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत के फैसले से फैसला सुनाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण अनुमेय है। इस मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसने ईवी चिन्नैया मामले में पहले के निर्णयों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है क्योंकि एससी/एसटी समरूप वर्ग बनाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा थे।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए कहा कि वह बहुमत के फैसले से असहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए फैसले में, उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 एक ऐसे वर्ग के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है जो कानून के उद्देश्य के लिए समान रूप से स्थित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी में पहचान करने वाले क्रीमी वकील की आवश्यकता पर विचार किया क्योंकि संविधान पीठ के सात में से चार न्यायाधीशों ने इन लोगों को सकारात्मक आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अपना विचार व्यक्त किया था कि राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।

 

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