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खतना: हर मुस्लिम बच्चा जिस दर्द से गुज़रता है, उसके पीछे के तर्क आपको हिला देंगे

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नई दिल्ली। हर धर्म के कुछ अपने रीती रिवाज़ होते हैं। कई लोग इसे अच्छा मानते है तो कई लोग इसे सामाजिक रूप से अनफिट मानते हैं। लेकिन ये रिवाज़ धार्मिक मान्यताओं के चलते मानने सभी को पड़ते हैं। हम बात कर रहें हैं मुस्लिम सभ्यता के एक रिवाज़, ‘खतना’ के बारे में। इस संबंध में विवाद तब शुरू हुआ जब जर्मनी की एक अदालत ने खतना करने को बच्चों के शरीर के ऊपर जुल्म बताया। अदालत के इस फैसले का जबरदस्त विरोध हुआ।

मुस्लिम समाज में जब लड़का छोटा होता है तो उसके प्राइवेट पार्ट की ऊपरी परत को काट कर निकाल दिया जाता है। इसी प्रक्रिया को खतना कहते हैं। इसमें बच्चे को असहनीय दर्द होता है। खतने को लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। लेकिन अमेरिका के शिकागो शहर में हुई रिसर्च के मुताबिक खतना करने से बच्चों में कई प्रकार की बीमारियां कम हो जाती हैं। खतना करवाने के बाद पुरुषों में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का खतरा ना के बराबर हो जाता है। प्राइवेट पार्ट की आगे वाली चमड़ी के हट जाने से नमी खत्म हो जाती है। जिसके कारण वायरस को पनपने के लिए वातावरण नहीं मिल पाता।

सऊदी अरब जैसे देश में मुस्लिम महिलाओं का भी खतना होता है। एक रिपोर्ट में WHO ने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं का खतना 3 तरह से किया जाता है। पहला प्राइवेट पार्ट का कुछ भाग काटकर निकाल कर, दूसरा प्राइवेट पार्ट की सिलाई कर और तीसरा प्राइवेट पार्ट को छेद कर।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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