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कर्नाटक चुनाव : बीजापुर (शहर) में मुशरिफ का मुकाबला पाटिल से

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नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)| कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के लिए मतदान में अब कुछ ही दिनों का वक्त बचा है, राजनीतिक दलों ने राज्य की प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण सीटों पर अपने दिग्गज उम्मीदवारों और वर्तामान विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव आजमाया है। इसका प्रमुख उदाहरण बीजापुर (शहर) निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां मुकाबला हमेशा सत्तारूढ़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का रहा है।

कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र संख्या-30 बीजापुर निर्वाचन क्षेत्र कर्नाटक के मुंबई-कर्नाटक लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2,41,682 है जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,21,753 और महिला मतादाताओं की संख्या 1,19,828 है। इस चुनाव में 54 अन्य भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। बीजापुर शहर की औसत साक्षरता दर 84 प्रतिशत है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 89 प्रतिशत और महिला साक्षरता 78 प्रतिशत है।

बीजापुर कर्नाटक का नौवां सबसे बड़ा शहर है और इसे ऐतिहासिक स्मारकों में वास्तुशिल्प महत्व के लिए जाना जाता है। यह शहर 10वीं -11वीं शताब्दी में चालुक्यों द्वारा स्थापित किया गया था और इसे पहले विजयपुरा नाम से जाना जाता था। यह शहर 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दिल्ली में खिलजी सल्तनत के दौरान विशेष रूप से सामने आया था। मोहम्मद आदिल शाह का मकबरा ‘गोल गुंबज’ बीजापुर का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा गुंबद है।

बात करें क्षेत्रीय राजनीति की, तो इस सीट पर जंग हमेशा कांग्रेस और भाजपा के बीच रही है। बीजापुर निर्वाचन क्षेत्र में पिछले छह चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही तीन-तीन चुनाव जीते हैं। हालांकि भाजपा नेता अप्पासाहेब मालप्पा पट्टानाशेट्टी ने 2004 और 2008 चुनाव में लगातार जीत दर्ज की थी, लेकिन 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार मकबूल एस. बागवान ने करीब नौ हजार वोटों के अंतर से इस सीट पर हासिल की थी।

वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही मुख्य पार्टियों ने इस सीट पर नए उम्मीदवारों को उतारा है। कांग्रेस ने अब्दुल हमीद मुशरिफ को और भाजपा ने बसनगौड़ आर. पाटिल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

दरअसल, बीजापुर शहर से पहली बार विधायक चुने गए मकबूल बागवान को अपनी ही पार्टी के नेताओं से परेशानी का सामना करना पड़ा था। बागवान के खिलाफ आधा दर्जन पार्टी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया और क्षेत्र में उनके खिलाफ आक्रोश के माहौल को इन नेताओं का समर्थन मिला, जिसके परिणामस्वरूप बागवान को अपना टिकट गंवाना पड़ा। बागवान के खिलाफ नेताओं में मोहम्मद रफीक तापल, सजद पीरन मुशरिफ, अब्दुल हमीद मुशरिफसमेत अन्य नेता शामिल थे।

कांग्रेस परंपरागत रूप से बीजापुर शहर से मुसलमानों को टिकट देती है, इसलिए इस बार भी उसने यहां से अब्दुल हमीद मुशरिफ को टिकट दिया है। अब्दुल हमीद कई वर्षो से कांग्रेस के बैनर तले समाजसेवी के रूप में कार्य कर चुके हैं।

वहीं भाजपा ने बसनगौड़ आर. पाटिल को कांग्रेस के मुशरिफ के खिलाफ मैदान में उतारा है। बसनगौड़ आर. पाटिल ने 2013 में बीजापुर विधानसभा क्षेत्र जनता दल (सेक्युलर) के टिकट पर लड़ा था, लेकिन पाटिल को 9,380 मतों से हार का सामना करना पड़ा था और वह दूसरे नंबर पर रहे थे।

बसनगौड़ आर. पाटिल राज्य की भाजपा इकाई के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। पाटिल वाजपेयी सरकार में 1 जुलाई 2002 से 8 सितंबर 2003 तक कपड़ा राज्यमंत्री रहे थे। इसके अलावा वह 8 सितंबर 2003 से 16 मई 2004 तक रेल राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।

हालांकि वह 22 जनवरी, 2010 को भाजपा का दामन छोड़कर जनता दल (सेक्युलर) में शामिल हो गए थे, लेकिन 2013 में जेडी (एस) के टिकट पर चुनाव हारने के बाद वह 17 नवंबर, 2013 को वह फिर से भारतीय जनता पार्टी में लौट आए। भाजपा ने अपने कद्दावर नेता पर एक बार फिर से दांव आजमाया है।

इसके अलावा जनता दल सेक्युलर ने बेल्लुबी संगप्पा कालप्पा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने पीरपाशा शमसुद्दीन गाचीमल, शिवसेना ने महेश महादेव जाधव, भारतीय जनशक्ति कांग्रेस राकेश सिद्धाराम तेली को चुनाव मैदान में उतारा है। इनके इलावा चार निर्दलीय भी इन चुनाव में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पहले ही जेडी (एस) को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुका है।

कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए राज्य में 56,696 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिसमें 4,96,82,357 (4.96 करोड़) मतदाता अपने मतों का प्रयोग कर नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। मतदान 12 मई को होगा और मतगणना 15 मई को होगी।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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