उत्तराखंड
उत्तराखंड में इन्वेस्टर्स समिट की मदद से बढ़ाया जाएगा ऑटोमोबाइल और कॉम्पोनेंट क्षेत्र
उत्तराखंड सरकार ने अक्टूबर में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन करने का फैसला लिया है। इस दो दिवसीय समिट के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया जाएगा। इन्वेस्टर्स समिट से पहले चार मिनी कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा।
मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट 2018 की बैठक में यह निर्णय मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने लिया। बैठक में यह तय किया गया कि टिहरी, उधमसिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार में मीट से पहले मिनी कॉन्क्लेव आयोजित किया जाएगा। टिहरी में वैलनेस और पर्यटन कॉन्क्लेव, उधमसिंह नगर में खाद्य प्रसंस्करण और ऑटो, नैनीताल में फिल्म शूटिंग एवं पर्यटन और हरिद्वार में आयुर्वेद, हर्बल, ऐरोमेटिक और आयुष कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा।
उत्तराखंड में मौजूद पूंजी निवेश के बारे में बंगलुरु, हैदराबाद, मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता आदि प्रमुख स्थानों पर रोड शो किया जाएगा। इसके लिए निवेश के अनुकूल 12 क्षेत्रों को चुना गया गया है। इनमें प्रमुख रूप से खाद्य प्रसंस्करण, वानिकी, फ्लोरीकल्चर, पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी, वेलनेस और आयुष, ऑटोमोबाइल और कॉम्पोनेन्ट, फर्मा, सेरीकल्चर और नेचुरल फाइबर, आईटी, हर्बल और एरोमेटिक उत्पाद, रिन्यूबल एनर्जी, फिल्म शूटिंग और बायो टेक्नोलॉजी को दिखाया जाएगा। इन्वेस्टर्स मीट का मुख्य आयोजन देहरादून के अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम रायपुर में किया जाएगा। यहां पर उपलब्ध औद्योगिक इकाई स्थापित करने की सुविधाओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
बैठक में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव आईटी आरके सुधांशु, सचिव ऊर्जा राधिका झा, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, एमडी सिडकुल सौजन्या, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, सीआइआइ के पंकज गुप्ता, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखड के विनय गोयल शामिल हुए।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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