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राजस्थान भाजपा अध्यक्ष बनकर कोई बलि का बकरा नहीं बनना चाहता : सचिन

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नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)| कांग्रेस की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि 2013 में मिली शिकस्त के बाद पार्टी सशक्त तौर पर उभरी है और इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वह भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देगी। सचिन यह भी मानते हैं कि भाजपा को राज्य इकाई का अध्यक्ष इसलिए नहीं मिल रहा, क्योंकि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हार के भय से कोई भी बलि का बकरा नहीं बनना चाहता।

पायलट का कहना है कि चुनाव में जाति वह धुरी नहीं होती, जिसके इर्द-गिर्द सब कुछ काम करता है और युवा अब मतदान के समय जाति से आगे बढ़कर देखते हैं।

पायलट ने कहा कि राज्य भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी को इस्तीफा दिए करीब चार सप्ताह बीत चुके हैं।

सचिन ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, और चार हफ्तों में उन्हें इस पद के लिए कोई व्यक्ति नहीं मिला, क्योंकि कोई भी बलि का बकरा नहीं बनना चाहता। वे जानते हैं कि पांच-छह महीनों में वे चुनाव हार जाएंगे। खुद को अलग बताने वाली और दुनिया की तथाकथित सबसे बड़ी पार्टी चार हफ्तों में भी राज्य अध्यक्ष के लिए किसी को ढूंढ़ नहीं पाई। यह राजस्थान सरकार और भाजपा की सच्चाई को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर कटाक्ष करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि वह विकास निधि के लिए राष्ट्रीय राजधानी नहीं गई थीं, बल्कि राज्य प्रमुख की नियुक्ति के लिए लॉबी करने गई थीं।

उन्होंने कहा, इससे स्पष्ट है कि भाजपा में अंदरूनी लड़ाई चल रही है और राज्य और केंद्र सरकारों के बीच समन्वय की कमी है, जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पायलट ने कहा कि राजे का शासन पर से नियंत्रण समाप्त चुका है और बेरोजगारी, कृषि संकट, किसान आत्महत्या, जनजातीय लोगों और दलितों के खिलाफ अत्याचार और भूमि और खनन से जुड़े घोटाले सामने आ रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट तौर पर सचिन को लक्षित कर कहा था कि युवा नेताओं को कतार में खड़े रहना चाहिए और जो भी कतार तोड़ता है, उसके राजनीतिक करियर के समय से पहले ही खत्म हो जाने का खतरा रहता है। इस बारे में पूछने पर पायलट ने मार्च में पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में दिए गए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि गहलोतजी किसी पर हमला करने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन मुझे राहुल गांधीजी का भाषण याद है, जिसमें उन्होंने राजनीति में और कांग्रेस पार्टी में भी पुरानी दीवारों को तोड़ने की बात की थी। तो, जब कांग्रेस अध्यक्ष दीवारों को तोड़ रहे हैं, तो किसी भी पंक्ति या कतार का सवाल कहां पैदा होता है?

गहलोत की एक अन्य टिप्पणी कि किसी पीसीसी प्रमुख को स्वत: ही मुख्यमंत्री पद की पसंद नहीं मान लेना चाहिए, इस बारे में पूछे जाने पर सचिन पायलट ने कहा, हम सभी का उद्देश्य कांग्रेस के लिए जनाधार हासिल करना है और किसे कौन-सा पद मिलता है, इससे मुझे या किसी अन्य को कोई फर्क नहीं पड़ता। हम एक टीम के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

गहलोत को पार्टी महासचिव नियुक्त किए जाने और उनकी इस टिप्पणी कि उन्हें राजस्थान की राजनीति से अलग नहीं किया गया है, के बारे में पायलट ने कहा, अशोक गहलोतजी अगर खुद को राजस्थान से दूर करना भी चाहते हों, तो भी मैं पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उन्हें राजस्थान से दूर नहीं होने दूंगा।

टिकट बंटवारे को लेकर उन्होंने कहा कि जीतने की क्षमता और सर्वसम्मति इसका आधार होगा और पिछले चार वर्षो में पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए जिन लोगों ने काम किया है, उनके प्रयासों के लिए ईनाम दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, हम बूथ स्तर पर ध्यान दे रहे हैं। भाजपा ने जिन फर्जी मतदाताओं को शामिल किया था, हम उन्हें अलग कर रहे हैं। और हम इस लड़ाई को चुनावी बूथों तक ले जा रहे हैं।

विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका कारण यह रहा कि पार्टी अपने किए गए अच्छे कामों का राजनीतिक लाभ नहीं उठा पाई।

उन्होंने कहा, इसके लिए संवाद कौशल की जरूरत होती है, कुछ हद तक अपनी मार्केटिंग की जरूरत होती है, जो शायद हम अच्छी तरह नहीं कर पाए। लेकिन हम कई अन्य कारणों से भी हारे।

जातीय समीकरण के सवाल पर उन्होंने कहा, जहां तक जातिगत समुदायों का सवाल है, वे मुद्दों के आधार पर वोट देंगे और कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है, जिसके पास सभी समुदायों, सभी जातियों को एकजुट रखने की क्षमता और मंशा है।

पायलट ने कहा कि राजस्थान में कोई सत्तारूढ़ पार्टी पिछले 40 सालों में कोई संसदीय उपचुनाव नहीं हारी है, लेकिन भाजपा की हार सभी समुदायों और क्षेत्रों में उसके खिलाफ गहरे आक्रोश को स्पष्ट करता है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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